15 जून को यूपी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डिफेंस एक्सपो ग्राउंड में 60,244 चुने गए पुलिस कांस्टेबलों को नियुक्ति पत्र सौंपा।

जहां कार्यक्रम की शुरुआत के साथ यूपी सीएम ने भगवान राम की प्रतिमा भेंटकर गृहमंत्री का अभिनंदन किया। कार्यक्रम में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी समेत कई मंत्री मौजूद रहे। इस दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को ‘मित्र’ कहकर बुलाया। शाह के केशव मौर्य को मित्र कहने को लेकर अब यूपी की सियासी गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं होने लगी। विपक्ष ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है।

दरअसल, इसको लेकर अब समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने भी रिएक्ट किया है. उन्होंने सोशल मीडिया पर तंज कसते हुए लिखा- इन्होंने इश्तहार में न लगाया उनका चित्र… उन्होंने किसी और को कह दिया ‘मित्र’!

वहीं, अखिलेश यादव की टिप्पणी पर यूपी सरकार के मंत्री नरेंद्र कश्यप ने पलटवार किया है. उन्होंने कहा है कि मंच पर विराजमान डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को अमित शाह ने अपना ‘मित्र’ बताया. इससे पहले उन्होंने सीएम योगी के काम की सराहना भी की. यह चीज तो राजनीति में सुखद संदेश देने वाली है. वरना तो सपा और कांग्रेस के मंचों पर लाठियां चलती हैं, गालियां बकी जाती हैं, आपस में लोग कुर्सी को लेकर झगड़ते हैं. ऐसे में विपक्ष को बीजेपी से सीखना चाहिए कि सार्वजनिक मंचों पर कैसे व्यवहार किया जाता है। नरेंद्र कश्यप ने कहा कि, अखिलेश यादव अपनी पार्टी का काम छोड़कर हमारी सरकार के ‘मित्रों’ और ‘चित्रों’ पर बहुत ध्यान दे रहे हैं. अखिलेश यह भूल जाते हैं कि इस मित्रता के भाव को अगर वह अपने दल में लाने का प्रयास करें तो कुछ बेहतर हो सकता है. अमित शाह ने कल योगी सरकार की तरफ की और केशव मौर्य का भी सम्मान बढ़ाया. किसी का सम्मान बढ़ने से अगर अखिलेश के पेट में दर्द हो यह उनकी चिंता है. उन्हें मालूम होना चाहिए कि बीजेपी में टकराव की सियासत नहीं है। ये सब सपा और कांग्रेस में होता है जो कि परिवारवादी पार्टियां हैं।

दरअसल, शाह लंबे वक्त के बाद राजधानी लखनऊ आए थे और लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार उत्तर प्रदेश में मंच शेयर कर रहे थे ऐसे में सभी की निगाहें अमित शाह और सीएम योगी आदित्यनाथ पर टिकी थीं। मंच पर अमित शाह को बीचो-बीच बिठाया गय था। उनके दाईं ओर यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ और बाएं तरफ डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य विराजमान थे तकरीबन घंटे भर के इस कार्यक्रम में अमित शाह दोनों नेताओं से गुफ्तगू करते दिखे।

इस दौरान अमित शाह को संबोधित करने के लिए बुलाया गया तो अपने संबोधन में अमित शाह ने केशव मौर्य को अपना ‘मित्र’ कह कर संबोधित किया। क्योंकि, पहली बार अमित शाह ने सार्वजनिक तौर पर ‘मित्र’ कहकर संबोधित किया है वो भी तब जब खुद सीएम योगी भी मंच पर मौजूद थे। अमित शाह का यह संबोधन सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ लेकिन इस संबोधन का एक हिस्सा ही दिखाया गया जिसमें अमित शाह ने उन्हें अपना ‘मित्र’ कहा। अमित शाह ने अपने संबोधन के कुछ वाक्यों के जरिए ही यूपी सरकार और बीजेपी की सियासत को अपना संदेश साफ कर दिया। संदेश साफ है कि केशव मौर्य बीजेपी के शीर्ष नेताओं की पसंद भी हैं और करीबी भी। योगी सरकार के दूसरे टर्म में बेशक उनकी पुरानी हनक नहीं हो लेकिन केशव मौर्य को अपना ‘मित्र’ बताकर अमित शाह ने साफ कर दिया कि मौर्य को कोई कमजोर समझने की भूल न करे।

हालांकि, अपने संबोधन के दौरान अमित शाह ने यूपी सीएम की थी जमकर तारीफ की। सीएम योगी आदित्यनाथ को अमित शाह ने लोकप्रिय और सफल मुख्यमंत्री बताया। इसी संबोधन में बिना कुछ कहे सबकुछ साफ कर दिया। अमित शाह ने योगी को सबसे सफल और लोकप्रिय सीएम बताकर कन्फ्यूजन को भी खत्म कर दिया, वो ये कि यूपी में सीएम चेहरे को लेकर कोई बदलाव होगा।

राजनीतिज्ञों ने अमित शाह के इन दोनों दिग्गजों की तारीफ को लेकर कई मायने निकाले। सियासी जानकारों का कहना है कि, अमित शाह ने अपने संबोधन की शुरुआत में ही योगी को सफल और लोकप्रिय बताकर यह साफ कर दिया कि, उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री को लेकर फिलहाल कोई बदलाव नहीं होगा लेकिन यूपी में बीजेपी की सियासत ओबीसी चेहरे के बगैर नहीं। यही नहीं केशव मौर्य यूपी बीजेपी के सियासत के केंद्र में ही होंगे। अमित शाह ने अपने इस एक संबोधन के जरिए यूपी बीजेपी की ओबीसी सियासत को दोबारा साधने की कोशिश की। जाहिर है केशव मौर्य बीजेपी का सबसे बड़ा ओबीसी चेहरा हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव में मौर्य को मिली हार और लोकसभा चुनाव में पूरे इलाके की हार ने उनकी उड़ान को रोक दिया। इसकी वजह से ओबीसी चेहरे होने के बावजूद केशव मौर्य ने पिछले कुछ समय से खुद को थोड़ा सीमित भी कर दिया था। जिससे आलाकमान को भी लगने लगा था कि जिस चेहरे को कल्याण सिंह के बाद बीजेपी ने सबसे बड़ा किया, जिसे ओबीसी चेहरा बनाया, कहीं वो जाति और चेहरों की लड़ाई में खो न जाए।

जिस तरीके से अखिलेश यादव ने योगी सरकार को एक जाति विशेष की सरकार घोषित कर रखा है, जिस तरीके से वह ठाकुर बनाम PDA का नैरेटिव गढ़ रहे हैं, उसने बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के कान खड़े कर दिए हैं। ऐसे में अमित शाह का ताजा बयान सपा के नैरेटिव की काट के तौर पर देखा जा रहा है। विपक्ष एक गलतफहमी और आशंका पैदा करना चाहता है कि दिल्ली और लखनऊ में टकराव है।
Leave a comment