ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में BRICS शिखर सम्मेलन का आयोजन होने वाला है। ब्राजील ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को स्पेशल डिनर के लिए आमंत्रित किया है। क्योंकि, चीन खुद को दुनिया का बेहद ताकतवर मुल्क समझता है। ऐसे में वो ये कैसे बर्दाश्त करेगा कि उसके राष्ट्रपति के सामने किसी और वैश्विक नेता का ज्यादा सम्मान हो। और वो वैश्विक नेता भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हों तो ड्रैगन का डर लाजिमी है।

कहा जा रहा है कि चीन को इसी बात से मिर्ची लग गई है। खबर आई है कि, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस सम्मेलन के लिए ब्राजील नहीं जाएंगे। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी जाने का प्लान कैसिंल कर सकते हैं। हालांकि अभी तक इसको लेकर ऑफिशियल जानकारी नहीं मिली है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, जिनपिंग ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेने का प्लान रहे हैं। अगर ऐसा हुआ तो यह एक दशक से अधिक समय में पहला मौका होगा जब वह इस बैठक में भाग नहीं लेंगे। इसके बजाय, चीनी प्रधानमंत्री और शी के विश्वासपात्र ली क्विंग शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे।

मॉस्को में क्रेमलिन के विदेश नीति सलाहकार यूरी उशाकोव ने घोषणा की, ‘‘रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ब्राजील में आगामी ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में रूस का प्रतिनिधित्व करेंगे, जबकि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन वीडियो लिंक के माध्यम से इस कार्यक्रम में भाग लेंगे।’’ बता दें कि, ब्रिक्स के वर्तमान अध्यक्ष के रूप में ब्राजील 6-7 जुलाई को रियो डी जेनेरियो में उसके नियमित 17वें शिखर सम्मेलन की मेजबान है। ब्रिक्स में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। इस समूह का विस्तार होने जा रहा है, इसमें पांच अतिरिक्त सदस्य देशों मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को शामिल किया जाने वाला है। क्योंकि, यूक्रेन के अनुरोध पर अंतरराष्ट्रीय आपराधिक अदालत (आईसीसी) द्वारा पुतिन के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट के कारण पुतिन साल 2023 में दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं हुए थे।

शायद यही वजह है कि, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ब्राजील में होने वाले ब्रिक्स के आगामी शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने का प्लान रद्द कर दिया है। ये पहली बार होगा, जब शी जिनपिंग ब्रिक्स के शिखर सम्मेलन से गैरहाजिर रहेंगे। चीन ने अपने राष्ट्रपति के ब्रिक्स समिट में शामिल न होने को लेकर कोई ठोस वजह अभी नहीं बताई है, लेकिन एक चर्चा ये भी है कि, ब्रिक्स समिट के दौरान ब्राजील ने जिस तरह भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकारी आवभगत करने का ऐलान किया है, उसकी वजह से चीनी राष्ट्रपति ने अपना दौरा रद्द कर दिया है। चीन को संभवतः डर है कि, ब्रिक्स समिट में पीएम मोदी छाए रहेंगे और वैश्विक मंच पर मोदी के मुकाबले चीनी राष्ट्रपति का कद कम नजर आएगा तो उसकी फजीहत हो जाएगी।

बताते चलें कि, ब्रिक्स मूल रूप से ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका का एक महत्वपूर्ण संगठन है। पिछले साल इसमें यूएई, इजिप्ट, ईरान, इंडोनेशिया और इथियोपिया जैसा नौ देश और शामिल हुए थे। हाल ही वियतनाम ब्रिक्स का 10वां पार्टनर देश बना है। इसे दुनिया में अमेरिका की अगुआई वाली वैश्विक व्यवस्था का मजबूत विकल्प माना जाता है। ब्रिक्स का 17वां शिखर सम्मेलन आगामी 6-7 जुलाई को ब्राजील के रियो डी जेनेरो में आयोजित होगा। शी जिनपिंग की गैरमौजूदगी में अब चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग ब्रिक्स समिट में हिस्सा ले सकते हैं। क्योंकि, चीन ब्रिक्स का महत्वपूर्ण साझेदार है। संगठन के अब तक जितने भी शिखर सम्मेलन हुए हैं, उनमें बतौर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग जरूर शामिल हुए हैं।

लेकिन ये पहली बार है, जब जिनपिंग ने ब्रिक्स समिट में जाने से इनकार कर दिया है। जिनपिंग समिट में क्यों नहीं जा रहे हैं, इसे लेकर चीन ने सिर्फ इतना ही कहा है कि, पहले से तय कार्यक्रमों की वजह से वहां जाना संभव नहीं है। चीनी विदेश मंत्रालय का कहना है कि, ब्रिक्स समिट में चीन के भाग लेने को लेकर हम जल्द ही बयान जारी करेंगे। वजह चाहे जो हो, लेकिन एक चर्चा ये भी है कि चीनी राष्ट्रपति ने भारतीय प्रधानमंत्री मोदी की वजह से अपना ब्राजील दौरा रद्द कर दिया है। दरअसल पीएम मोदी ब्रिक्स समिट के बाद भी ब्राजील में रुकने वाले हैं, ऐसा बताया जा रहा है। पीएम मोदी ब्राजील की राजकीय यात्रा पर जा रहे हैं। ऐसे में ब्राजील ने उनके सम्मान में खास तैयारियां करने की बात कही है। गेस्ट ऑफ ऑनर के तौर पर उनका जोर-शोर से स्वागत किया जाएगा।

ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डिसिल्वा ने पीएम मोदी को स्पेशल डिनर पार्टी का भी न्योता दिया है। और पीएम मोदी की ब्राजील में ऐसी आवभगत की तैयारियों को देखते हुए चीनी राष्ट्रपति ने अपना दौरा रद्द कर दिया है. चीन नहीं चाहता कि उसके राष्ट्रपति के सामने किसी और देश के नेता का ज्यादा सम्मान हो। शी जिनपिंग को चीन में माओ जेदोंग के बाद सबसे ताकतवर नेता माना जाता है। उसे लग रहा है कि ब्रिक्स समिट में जिनपिंग का कद पीएम मोदी के सामने वैश्विक मंच पर कम दिखेगा। इससे बेहतर है कि जिनपिंग वहां जाएं ही नहीं। वैसे ब्रिक्स समिट में न जाने से चीनी राष्ट्रपति को घाटा भी हो सकता है। जिनपिंग अगर इस समिट में जाते तो उनकी ईरान के नेताओं से भी आमने-सामने मुलाकात होती। इजराइल के साथ ईरान का युद्ध छिड़ने के बाद यह पहला मौका होता, जब चीनी राष्ट्रपति और ईरान के नेता साथ में नजर आते।
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