देवरिया, 2 जुलाई 2025:
जन शिकायत निवारण प्रणाली (IGRS) की हालिया समीक्षा में देवरिया जिला के विभिन्न विभागों का गैर-जिम्मेदाराना रवैया उजागर हुआ है। समीक्षा में यह चौंकाने वाली जानकारी मिली कि कई जिलों—जैसे तरकुलवा, पथरदेवा, बरहज, बैतालपुर, भटनी, लार—में khदववकila अधिकारियों द्वारा निवारण शून्य प्रतिशत रहा, जबकि अन्य विभागों का प्रदर्शन भी बेहद खराब पाया गया।
खंड विकास अधिकारी और अन्य विभागों की शर्मनाक रिपोर्ट
पद/विभाग | क्षेत्र | संतोषजनक निवारण (%) |
---|---|---|
खंड विकास अधिकारी | तरकुलवा, पथरदेवा, बरहज, बैतालपुर, भटनी, लार | 0% |
चकबंदी अधिकारी | सलेमपुर व प्रथम | 0% |
जिला विद्यालय निरीक्षक | – | 0% |
पंचायत विभाग (सहायक विकास अधिकारी) | तरकुलवा, देवरिया सदर, पथरदेवा, बरहज, भटनी, रामपुर, सलेमपुर | 0% |
अधिशासी अभियंता प्रांतीय खंड | – | 14% |
खान निरीक्षक | – | 14% |
चकबंदी अधिकारी | देवरिया | 20% |
मुख्य चिकित्सा अधिकारी | – | 25% |
खंड विकास अधिकारी | भटनी | 33% |
अधिशासी अभियंता (विद्युत) | – | 35% |
उपजिलाधिकारी | बरहज | 37% |
जिला पंचायत राज अधिकारी | – | 50% |
ये आँकड़े जिले द्वारा कराए गए IGRS समीक्षा सत्र में सामने आए।
डीएम का करारा निर्देश और गहरी नाराज़गी
डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ने अपर जिलाधिकारी (प्रशासन एवं नोडल अधिकारी) श्री जैनेंद्र सिंह के माध्यम से स्पष्ट रूप से चेतावनी दी है कि:
- IGRS मामलों का निवारण पूर्ण सुरक्षा एवं संपूर्ण परीक्षण के बाद ही दर्ज किया जाए।
- अनुचित और गुणवत्ता विहीन कार्यवाही, जैसे अपलोड की गयी अधूरी रिपोर्ट या बिना फोटो के निवारण दस्तावेज़, गंभीर अनुशासनहीनता मानी जायेगी।
इस निर्देश में यह भी ज़ोर दिया गया कि सभी संबंधित अधिकारियों को आवेदक से संपर्क करना अनिवार्य है और निवारण रिपोर्ट में फोटो अटैचमेंट आवश्यक है। लापरवाही पाए जाने पर अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की चेतावनी दी गयी है।

क्यों ज़रूरी है पूरी जांच?
- जन अधिकार की रक्षा: शिकायतकर्ता का विश्वास बनाए रखना प्रशासन की मौलिक जिम्मेदारी है।
- पारदर्शिता: हर केस में फोटो के साथ निष्कर्ष संलग्न हों, ताकि शिकायत की वास्तविकता और उसके निस्तारण का सटीक प्रमाण उपलब्ध हो।
- उत्तरदायित्व: विभागों की रिपोर्टिंग स्पष्ट हो तो प्राथमिक व रोकथामात्मक उपायों की पहचान आसान होती है।
आगामी कार्ययोजना
- सभी संबंधित अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से सूचना।
- प्रत्येक IGRS प्रकरण की स्टेटस रिपोर्ट तैयार करना और आवेदक से दोबारा सत्यापन।
- समीक्षा के लिए अगली मीटिंग सितंबर 2025 में आयोजित की जाएगी।
- लापरवाहीपूर्ण अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू (वार्निंग, ट्रांसफर, या प्रतिस्थापन)।
विशेषज्ञ टिप्पणी

- जन शिकायत निवारण विशेषज्ञ डॉ. संजय मिश्रा कहते हैं:
“IGRS की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि शिकायतकर्ता को स्थायी समाधान मिले। फोटो और पता लगने योग्य दस्तावेज़ न होने की स्थिति में ट्रैकिंग मुश्किल हो जाती है।” - स्थानीय नागरिक नेता सुनील चौहान का कहना है:
“शून्य प्रतिशत निस्तारण वैधानिक प्रक्रिया की उपेक्षा है और यह सीधे शहर की सेवा प्रणाली पर प्रश्नचिह्न लगाता है।”
यह समीक्षा केवल डेटा नहीं, बल्कि जन-विश्वास का परख भी है। डीएम के निर्देश प्रशासन की कठोर सुनवाई का संकेत देते हैं और दर्शाते हैं कि अब वह विभागीय लापरवाही को बर्दाश्त नहीं करेंगे। आगामी समीक्षा मिशन मोड में चलने की संभावना है, ताकि शिकायत निवारण प्रणाली में सुधार लाया जा सके और हर निवेदक को संतोषजनक समाधान मिल सके।
Leave a comment