नोएडा: उत्तर प्रदेश के नोएडा से एक चौंकाने वाला साइबर क्राइम मामला सामने आया है, जहां एक बुजुर्ग महिला को फर्जी आरोपों में ‘डिजिटल अरेस्ट‘ कर 3 करोड़ 29 लाख रुपये की ठगी की गई। पुलिस ने इस हाई-प्रोफाइल मामले का पर्दाफाश करते हुए तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। साइबर ठगों ने महिला को उनके आधार कार्ड और बैंक खातों से जुड़ी फर्जी जानकारी देकर धमकाया और लाखों रुपये अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करवा लिए।
यह मामला नोएडा सेक्टर-36 स्थित साइबर क्राइम थाने में 30 जून 2025 को दर्ज हुआ था। पीड़ित महिला ने शिकायत में बताया कि उन्हें धमकाकर बताया गया कि उनके नाम से जुड़े बैंक खातों का इस्तेमाल अवैध गतिविधियों जैसे ऑनलाइन गैंबलिंग और हथियारों की खरीद-फरोख्त में किया जा रहा है। इसके बाद उन्हें वर्चुअल तरीके से ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखा गया और लगातार मानसिक दबाव में रखकर करोड़ों रुपये की ठगी की गई।
क्या है ‘डिजिटल अरेस्ट’ ?

‘डिजिटल अरेस्ट’ एक नया और खतरनाक साइबर फ्रॉड टूल बनकर उभरा है। इसमें आरोपी कॉल या वीडियो कॉल के जरिए खुद को सरकारी अधिकारी, पुलिस या एजेंसी का अफसर बताकर व्यक्ति को यह यकीन दिलाते हैं कि उसके खिलाफ गंभीर मामला दर्ज है। फिर उसे एक वर्चुअल इंटरोगेशन मोड में रखा जाता है, जिसमें पीड़ित को कैमरे के सामने रहने, किसी से बात न करने, फोन न काटने और बताए गए निर्देशों का पालन करने के लिए मजबूर किया जाता है।
यह तकनीक हाल के वर्षों में भारत में तेजी से उभर रही साइबर क्राइम स्ट्रैटेजी का हिस्सा बन गई है, जिसमें लोगों को बिना किसी ठोस सबूत के डराकर पैसे ऐंठे जाते हैं।
कैसे हुई 3.29 करोड़ रुपये की ठगी?
पीड़ित महिला ने बताया कि एक दिन उन्हें एक कॉल आया जिसमें खुद को केंद्रीय एजेंसी का अधिकारी बताने वाले व्यक्ति ने कहा कि उनके आधार कार्ड और बैंक अकाउंट का दुरुपयोग हो रहा है। महिला को बताया गया कि उनके खातों से मनी लॉन्ड्रिंग, गैंबलिंग और अवैध हथियारों की डीलिंग हो रही है।
डर और सामाजिक प्रतिष्ठा की चिंता में फंसी महिला को यह भी धमकी दी गई कि अगर उन्होंने सहयोग नहीं किया तो उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाएगा और मीडिया में खबर फैला दी जाएगी।
इसके बाद महिला को डिजिटल तरीके से ‘हाउस अरेस्ट’ कर रखा गया, यानी उन्हें घर के अंदर रहने, लगातार वीडियो कॉल पर रहने और किसी से संपर्क न करने के निर्देश दिए गए।
इस दौरान महिला को बताया गया कि अगर वे निर्दोष हैं तो उन्हें निर्दोष साबित करने के लिए सभी धनराशि अधिकारियों द्वारा बताए गए खातों में ट्रांसफर करनी होगी ताकि उसे जांच के लिए ‘सुरक्षित’ रखा जा सके। इस झांसे में आकर पीड़िता ने अलग-अलग किश्तों में कुल 3 करोड़ 29 लाख रुपये विभिन्न फर्जी खातों में ट्रांसफर कर दिए।
तीन शातिर साइबर ठग गिरफ्तार
नोएडा साइबर क्राइम थाने की टीम ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्परता से जांच शुरू की। शुक्रवार, 4 जुलाई को पुलिस ने तीन मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया।
गिरफ्तार आरोपी:
- दुपिन्दर सिंह उर्फ गिन्नी – इस आरोपी के खाते में सीधे 93 लाख रुपये ट्रांसफर किए गए थे। गिन्नी मुख्य रूप से ठगी के लिए अकाउंट्स और नेटवर्क तैयार करता था।
- विनय समानिया – यह आरोपी 25 प्रतिशत कमीशन पर फर्जी बैंक खाते उपलब्ध कराता था। बैंकिंग फ्रॉड नेटवर्क के लिए ये एक सक्रिय लिंक का काम करता था।
- मंदीप सिंह – इसके खाते में 71 लाख रुपये ट्रांसफर किए गए, लेकिन इसे बदले में केवल 50 हजार रुपये मिले।
तीनों आरोपियों से पूछताछ में खुलासा हुआ कि इन्होंने फर्जी पहचान और दस्तावेजों के ज़रिए कई बैंक खाते खुलवाए थे, जिनका उपयोग देशभर में की जा रही साइबर ठगी में किया जाता था।
अब तक 17 लाख की रकम फ्रीज
पुलिस की तत्परता के चलते अब तक 17 लाख रुपये की राशि को संबंधित बैंक खातों में फ्रीज कराया जा चुका है। अधिकारियों का कहना है कि बाकी की रकम की रिकवरी की भी पूरी कोशिश की जा रही है।
फरार आरोपियों की तलाश जारी
नोएडा की एडीसीपी (साइबर क्राइम) मनीषा सिंह ने बताया कि मामले में और भी लोग संलिप्त हो सकते हैं। पुलिस की टीमें अन्य फरार आरोपियों की तलाश में अलग-अलग राज्यों में छापेमारी कर रही हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि गिरोह में बैंक अकाउंट सप्लायर्स, कॉलिंग एजेंट्स, टेक सपोर्ट और कूरियर नेटवर्क तक शामिल हो सकते हैं। पुलिस इस पूरे नेटवर्क को तोड़ने के लिए विस्तृत रणनीति पर काम कर रही है।
साइबर फ्रॉड से कैसे बचें?
विशेषज्ञों और पुलिस अधिकारियों ने आम जनता को साइबर ठगों से सतर्क रहने की सलाह दी है। अगर किसी को इस प्रकार के कॉल आएं तो उन्हें तुरंत साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 या नजदीकी थाने में शिकायत दर्ज करानी चाहिए।
बचाव के कुछ उपाय:
- किसी भी कॉल या वीडियो कॉल पर बिना पुष्टि के निजी जानकारी साझा न करें।
- कोई भी सरकारी अधिकारी बिना विधिक प्रक्रिया के किसी को ‘डिजिटल अरेस्ट’ में नहीं डाल सकता।
- बैंक खातों से संबंधित किसी भी अनजान कॉल पर कार्रवाई से पहले स्थानीय बैंक और पुलिस से पुष्टि करें।
- फोन पर किसी भी लिंक पर क्लिक न करें जो किसी अज्ञात स्रोत से आया हो।
- अपने मोबाइल, सोशल मीडिया और बैंकिंग ऐप्स पर टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन लागू करें।
नोएडा का यह मामला एक बार फिर यह साबित करता है कि साइबर अपराध किस तेजी से नई-नई तकनीकों के जरिए आम जनता को निशाना बना रहा है। विशेष रूप से बुजुर्ग, अकेले रहने वाले और डिजिटल रूप से कम जानकार लोग इस ठगी का आसान शिकार बन रहे हैं।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई और तकनीकी टीम की मुस्तैदी से यह मामला उजागर हुआ और आरोपियों की गिरफ्तारी हो सकी। उम्मीद की जानी चाहिए कि बाकी दोषी भी जल्द गिरफ्त में आएंगे और पीड़िता को न्याय मिलेगा।
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