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उत्तर प्रदेश में धार्मिक स्थलों का कायाकल्प: पर्यटन को मिलेगा नया आयाम

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उत्तर प्रदेश धार्मिक पर्यटन विकास
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उत्तर प्रदेश,7 जुलाई 2025

उत्तर प्रदेश सरकार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में, राज्य के धार्मिक एवं सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करते हुए धार्मिक पर्यटन को पुनर्जीवित करने की महत्वाकांक्षी योजना पर कार्य क‍र रही है। सरकार ने मंदिरों, आश्रमों और तीर्थ स्थलों के जीर्णोद्धार के लिए एक विशेष रोडमैप तैयार किया है। पूर्वांचल क्षेत्र विशेषकर इस पहल का केंद्र बना हुआ है, क्योंकि इसे राज्य में धार्मिक पर्यटन का नया हब बनाने का लक्ष्य है।


योजना का मुख्य उद्देश्य

  1. धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा
    सरकार का अनुमान है कि धार्मिक स्थलों के सौंदर्यीकरण से राज्य में आने वाले पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी। इससे अर्थव्यवस्था को मजबूती तो मिलेगी ही, साथ ही स्थानीय रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे।
  2. सामाजिक-आर्थिक विकास
    जीर्णोद्धार के साथ सड़क, पार्किंग, शौचालय, लाइटिंग और सूचना केंद्र जैसी बुनियादी सुविधाओं का विकास होगा। इससे स्थानीय स्वरोजगार, छोटे व्यवसायों का विस्तार और समग्र समुदाय की आय बढ़ेगी।
  3. संस्कृति–परंपरा का संरक्षण
    राज्य के धार्मिक स्थानों का संवर्धन संस्कृति की रक्षा का कार्य भी करेगा, जिससे आने वाली पीढ़ियां अपनी विरासत से जुड़ी रहेंगी।

प्रमुख परियोजनाओं का विवरण

इलाका / जिलाधार्मिक स्थलकायाकल्प के प्रमुख कार्य
बलियाभृगु आश्रम (चित्रगुप्त मंदिर)मंदिर परिसर का सौंदर्यीकरण, भंडारों का नवीनीकरण
बलियातेंदुआ पट्टी, मौजा होलपुर (हनुमान मंदिर)परिसर विकास, लाइटिंग, पथ सुविधाएं
बलियाबसंतपुर गांव (उदासीन मठ)मठ की मरम्मत, पेंटिंग, आस-पास की व्यवस्था संवर्धन
आजमगढ़महाराजगंज (भैरव बाबा स्थल) & मिश्रपुर (राम-जानकी मंदिर)जीर्णोद्धार और दर्शकों के लिए सुविधाएं
आजमगढ़ (फूलपुर पवई)दुर्वासा ऋषि आश्रमऐतिहासिक शिलालेख, परिसर शुद्धिकरण
मऊ (दुआरी गांव)श्री वीर बाबा ब्रह्म स्थानमंदिर की मरम्मत, पार्किंग और गाइड व्यवस्था
कन्नौज (सदर)फूलमती देवी मंदिरपूजा स्थल की सौंदर्य वृद्धि, शौचालय, लाइट
गोरखपुरबांसगांव, सिंहपुर, धन्नीपुर (परमहंस बाबा स्थल)तीर्थ परिसर में बुनियादी संरचना का विकास

राज्यव्यापी रोडमैप

पर्यटन विभाग ने एक विस्तृत रणनीतिक रोडमैप जारी किया है जिसमें शामिल है:

  1. जागरूकता अभियान – राज्य में धार्मिक स्थलों की जानकारी व इतिहास स्थानीय स्तर पर प्रसारित करेंगे।
  2. डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर – साइटों के लिए ऐप प्लानिंग, क्यूआर कोड आधारित गाइड, वर्चुअल टूर।
  3. सिक्योरिटी & मैनेजमेंट – पर्यटकों की भीड़ को संभालने हेतु सुरक्षा व निगरानी प्रणाली।
  4. लोकल भागीदारी – स्थानीय लोगों, समाजों और धर्मगुरुओं से साझेदारी।
  5. समयबद्ध क्रियान्वयन – चरणबद्ध वितरण के आधार पर अगले 2–3 वर्षों में ज्यादातर साइटों को तैयार करने का समयबद्ध लक्ष्य रखा गया।

अपेक्षित परिणाम व लाभ

  • पर्यटक संख्या में वृद्धि – केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में उत्तर प्रदेश में 65 करोड़ से अधिक पर्यटक आए थे, जो किसी भी राज्य का सर्वाधिक रिकॉर्ड है—इस योजना से यह संख्या 2026 तक 75–80 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है।
  • आर्थिक सुदृढ़ता – तीर्थस्थलों के आसपास छोटे होटल, ढाबे, सदाबहार दुकानें खुलेंगी, जिससे स्थानीय जीडीपी और रोजगार में तेजी आएगी।
  • संस्कृति संरक्षण – तीर्थस्थलों की मरम्मत, पुरानी मूर्तियों व कलाकृतियों का पुलिंदा किया जाएगा। इससे सांस्कृतिक शिक्षा को भी बल मिलेगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रतिबद्धता

उत्तर प्रदेश धार्मिक पर्यटन विकास

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कई मौकों पर राज्य में धार्मिक स्थल संरक्षण व प्रचार-प्रसार को अपनी प्राथमिकता बताया है। उन्होंने स्वयं कई स्थलों का दौरा कर उनके कायाकल्प का मार्गदर्शन किया और सुनिश्चित किया कि परियोजनाएं समय पर एवं गुणवत्ता के साथ पूर्ण हों।


चुनौतियाँ और समाधान

  • स्थानीय स्वीकृति
    धार्मिक स्थलों पर अशांति या शहरीकरण की आशंका को देखते हुए स्थानीय लोगों के साथ संवाद संरचनात्मक महत्व रखता है। समाधान स्वरूप, स्थानीय पंचायतों व समाजों की संयुक्त समिति बनाई जा रही है।
  • सतत वित्त पोषण
    परियोजनाओं को लम्बे समय तक बनाए रखने के लिए टूरिज्म कोरिडोर फंड, पार्किंग शुल्क, डिजिटलीकरण सेवाओं जैसे स्रोतों के जरिए वित्त पोषण मॉडल रणनीतिक रूप से तैयार किया गया है।
  • संरक्षण बनाम आधुनिकाना
    पुरातन कला व मूल्य को संरक्षित करते हुए आधुनिक सुविधाओं का मेल साधना चुनौतीपूर्ण है। विशेषज्ञ पुरातत्व विभाग, विकास एजेंसियों व डिज़ाइनर टीम द्वारा इस संतुलन को ध्यान में रखकर कार्य किया जा रहा है।

विश्लेषक दृष्टिकोण

पर्यटन विशेषज्ञों का मानना है कि ये प्रयास “राज्य के धार्मिक पर्यटक स्थलों को नए जीवनदान देंगे।” जबकि अर्थशास्त्रियों का कहना है कि:

“स्थानीय मान‍सिकता और स्थानीय दिवाला जोखिम को समझते हुए सौंदर्यीकरण परियोजनाएं बनानी चाहिए, अन्यथा परियोजनाएं अधर में लटकी रह सकती हैं।”

उनका सुझाव है कि ये योजनाएं “कमर्शियल मोनिटाइजेशन से बचते हुए”, ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर ध्यान केंद्रित कर अधिक सफल होंगी।

उत्तर प्रदेश सरकार की धार्मिक स्थल–जीर्णोद्धार योजना न केवल पर्यटन को बढ़ावा देगी, बल्कि सांस्कृतिक संरक्षण, स्थानीय कार्यबल सृजन और अर्थ-व्यवस्था को दीर्घकालिक मजबूती देगी। विशेष रूप से पूर्वांचल को धार्मिक पर्यटन के हब के तौर पर विकसित करने की रणनीति मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की समग्र दृष्टि को दर्शाती है। आगामी वर्षों में यह योजना न केवल उत्तर प्रदेश को बल्कि उत्तर भारत को धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन का संरचनात्मक केंद्र बना सकती है।

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