पृष्ठभूमि: AI‑171 विमान हादसा
12 जून 2025 को अहमदाबाद से लंदन गैटविक के लिए रवाना हुई एयर इंडिया की फ्लाइट AI‑171 टेकऑफ़ के कुछ ही समय बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस हादसे में 260 लोगों की जान चली गई, जिनमें ज़्यादातर यात्री और कुछ ज़मीन पर मौजूद लोग शामिल थे। हादसे के बाद भारत की विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) और अमेरिका की नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड (NTSB) ने संयुक्त जांच शुरू की।

प्रारंभिक रिपोर्ट में क्या कहा गया?
AAIB द्वारा जारी की गई प्रारंभिक रिपोर्ट में बताया गया कि विमान के दोनों फ्यूल कंट्रोल स्विच “RUN” से “CUTOFF” की स्थिति में चले गए थे, जिससे इंजन में ईंधन की आपूर्ति रुक गई। यह घटना टेकऑफ के ठीक बाद हुई। लगभग 10 सेकंड के भीतर इन स्विच को फिर से RUN में लाया गया, लेकिन तब तक विमान ज़रूरी थ्रस्ट खो चुका था और वह गिर गया।
कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर में सह-पायलट क्लाइव कुंदर को यह पूछते सुना गया कि “आपने ईंधन बंद क्यों किया?” जिस पर कप्तान सुमीत सभरवाल ने जवाब दिया, “मैंने ऐसा नहीं किया।” रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया कि यह एक तकनीकी अवलोकन है, न कि अंतिम निष्कर्ष।
मीडिया रिपोर्ट्स और पायलट पर आरोप
घटना के बाद कुछ विदेशी मीडिया संस्थानों ने दावा किया कि दुर्घटना पायलट की “मानवीय गलती” का परिणाम थी। एक रिपोर्ट के अनुसार, कैप्टन सभरवाल ने खुद फ्यूल स्विच बंद किया, जिसके कारण दोनों इंजन बंद हो गए। इस रिपोर्ट में कहा गया कि फर्स्ट ऑफिसर ने पायलट से इसके बारे में सवाल किया, जिससे यह मान लिया गया कि गलती जानबूझकर की गई हो सकती है।
US सुरक्षा एजेंसी NTSB की तीखी प्रतिक्रिया
NTSB की अध्यक्ष जेनिफर होमेंडी ने इन मीडिया रिपोर्टों को “जल्दबाज़ी और अटकलबाज़ी पर आधारित” बताया। उन्होंने कहा कि इतने बड़े पैमाने पर हुई जांच में महीनों लग सकते हैं और जब तक पूरी तकनीकी और मानव व्यवहार विश्लेषण नहीं हो जाता, तब तक किसी निष्कर्ष पर पहुँचना गैर-जिम्मेदाराना है।
उन्होंने यह भी कहा कि जांचकर्ताओं को अपना कार्य करने का समय और स्थान दिया जाना चाहिए, न कि उन्हें मीडिया दबाव के कारण दिशा बदलने पर मजबूर किया जाए।
AAIB और DGCA की अपील

भारत की AAIB ने भी अपनी रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया कि प्रारंभिक निष्कर्ष केवल घटनाओं का तथ्यात्मक ब्यौरा है, न कि कोई दोषारोपण। रिपोर्ट केवल बताती है कि “क्या हुआ”, यह नहीं बताती कि “क्यों हुआ”।
DGCA ने भी इस रिपोर्ट के बाद भारत में चल रहे सभी Boeing 737 और 787 विमानों की फ्यूल कंट्रोल प्रणाली की व्यापक जांच के आदेश दिए हैं ताकि किसी भी प्रकार की तकनीकी खामी को भविष्य में रोका जा सके।
पायलट संगठनों की नाराज़गी
Federation of Indian Pilots (FIP) और Indian Pilots Guild ने भी मीडिया की रिपोर्टिंग की तीखी आलोचना की। FIP के अध्यक्ष सी.एस. रंधावा ने कहा कि प्रारंभिक रिपोर्ट में कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि गलती पायलट की थी। ऐसे में किसी मीडिया रिपोर्ट का ऐसा दावा करना पायलट समुदाय को बदनाम करने जैसा है।
Indian Pilots Guild ने रिपोर्ट को “आधा-अधूरा” बताते हुए कहा कि इंजन बंद होने के कारणों पर जांच अधूरी है और मीडिया ने तथ्यों से पहले धारणा बनाई है।
दोनों पायलटों का परिचय
कैप्टन सुमीत सभरवाल:
- उम्र: 56 वर्ष
- उड़ान अनुभव: 15,638 घंटे (8,596 घंटे Boeing 787 पर)
- स्वभाव: मृदुभाषी और पारिवारिक व्यक्ति
- निजी पृष्ठभूमि: अपने बीमार पिता की सेवा में लगे हुए थे
फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंदर:
- उम्र: 32 वर्ष
- उड़ान अनुभव: 3,403 घंटे (1,128 घंटे Boeing 787 पर)
- पृष्ठभूमि: माँ एयर इंडिया में 30 वर्षों तक फ्लाइट अटेंडेंट रहीं
दोनों ही पायलटों का रिकॉर्ड साफ था और उन्हें प्रोफेशनल माना जाता था।
कैसे चल रही है जांच?

NTSB और AAIB की साझा जांच में निम्न बिंदुओं पर ध्यान दिया जा रहा है:
- फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर का विश्लेषण
- ईंधन नियंत्रण प्रणाली की तकनीकी जांच
- मानव व्यवहार और संचार पैटर्न की समीक्षा
- पायलटों की मानसिक स्थिति का आकलन
विशेषज्ञों का कहना है कि इस जटिल जांच को पूरा करने में 12 से 18 महीने तक लग सकते हैं। अंतिम रिपोर्ट में हादसे के पीछे की सही वजह, सुरक्षा सुधार के सुझाव और भविष्य के लिए चेतावनियाँ शामिल होंगी।
संभावनाएं और जांच की दिशा
अब तक की जांच में तीन प्रमुख परिकल्पनाएँ सामने आई हैं:
- तकनीकी गड़बड़ी: संभव है कि फ्यूल स्विच में यांत्रिक दोष हो
- मानवीय त्रुटि: सह-पायलट और कैप्टन के बीच संवाद की गड़बड़ी
- जानबूझकर कार्रवाई: जिसे अभी तक प्रमाणित नहीं किया गया है
AAIB की रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि “जानबूझकर स्विच बंद करना” वाली संभावना की पुष्टि नहीं की गई है, और अभी इसपर जांच जारी है।
एयर इंडिया की प्रतिक्रिया
एयर इंडिया के CEO कैम्पबेल विल्सन ने सार्वजनिक रूप से अपील की कि जनता और मीडिया संयम बरतें और केवल तथ्यों के आधार पर बात करें। उन्होंने कहा, “हमारी संवेदनाएँ पीड़ितों के परिवारों के साथ हैं, और अंतिम जांच रिपोर्ट आने तक किसी भी प्रकार की अटकलों से बचना चाहिए।”

संयम ही सुरक्षा है
AI‑171 विमान हादसे की जांच अभी अपने प्रारंभिक चरण में है। ऐसे में मीडिया द्वारा पायलट पर दोष मढ़ना या मानसिक स्थिति पर अटकलें लगाना न केवल गैर-जिम्मेदाराना है, बल्कि इससे जांच प्रक्रिया और मृतकों के परिवारों पर भी गलत असर पड़ सकता है।
अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय विमानन संस्थाओं की अपील यही है — सत्य का इंतज़ार कीजिए, कयास मत लगाइए।
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