दिल्ली,10 जुलाई 2025
दिल्ली की राजनीति में इन दिनों एक ₹60 लाख के टेंडर को लेकर मचा सियासी घमासान आखिरकार शांत होता दिख रहा है। दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग (PWD) ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के सरकारी आवास पर रेनोवेशन के लिए जारी किया गया टेंडर आधिकारिक रूप से रद्द कर दिया है। यह टेंडर 1 जुलाई 2025 को जारी हुआ था और इसे 4 जुलाई को खोला जाना था। लेकिन जनता और विपक्ष की तीखी प्रतिक्रिया के बाद विभाग ने 7 जुलाई को इसे “प्रशासनिक कारणों” से रद्द कर दिया।
क्या था टेंडर में? जानिए किन सुविधाओं पर खर्च होने थे 60 लाख
PWD द्वारा जारी किए गए इस टेंडर में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के राजनिवास मार्ग स्थित सरकारी बंगले (बंगला नंबर 1, टाइप-7 श्रेणी) में व्यापक इलेक्ट्रिकल और आंतरिक साज-सज्जा से जुड़ा काम प्रस्तावित था। इसकी कुल अनुमानित लागत ₹59.89 लाख थी। योजना के तहत निम्नलिखित कार्य किए जाने थे:
- 80 बिजली और पंखे के पॉइंट्स की नई वायरिंग
- दो-दो टन के 24 एयर कंडीशनर की स्थापना (लागत ₹11.08 लाख)
- 23 प्रीमियम एनर्जी एफिशिएंट सीलिंग फैन और 16 वॉल माउंटेड फैन की खरीद
- 115 सजावटी लाइट फिटिंग्स में शामिल:
- 16 निकल फिनिश फ्लश सीलिंग लाइट्स
- 7 पीतल की झूमर (हैंगिंग लालटेन)
- कॉमन हॉल के लिए 8 पीतल की लाइट्स
- 3 बड़े शेंडेलियर्स
- दीवारों पर लगने वाली कांच की लाइटें
- 5 टेलीविज़न सेट्स की खरीद का भी उल्लेख था।
राजनीति की तपिश: विपक्ष ने साधा निशाना, ‘माया महल’ और ‘रंग महल’ जैसे आरोप
जैसे ही यह टेंडर सार्वजनिक हुआ, विपक्षी दलों—खासतौर पर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस—ने भाजपा नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार पर जमकर हमला बोला। AAP नेताओं ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता जनता के पैसों से ‘माया महल’ बनवा रही हैं।
कांग्रेस ने भी इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि दिल्ली में जब स्कूलों, अस्पतालों और महिलाओं की सुरक्षा के लिए बजट की मांग हो रही है, तब सरकार रेखा गुप्ता के बंगले पर करोड़ों लुटाने की तैयारी कर रही है।
आप नेता आतिशी मार्लेना ने ट्वीट कर कहा:
“60 लाख का बिजली का काम? क्या ये सरकारी आवास है या कोई फाइव स्टार होटल?”
भाजपा का जवाब: ‘विलासिता नहीं, प्रक्रिया का हिस्सा’
विपक्षी हमलों के बीच भाजपा ने सफाई देते हुए कहा कि इस कार्य में कुछ भी असामान्य या विलासिता पूर्ण नहीं था। भाजपा प्रवक्ता का कहना था कि:
“यह टेंडर सरकारी प्रक्रिया का एक सामान्य हिस्सा था। रेखा गुप्ता पहली बार मुख्यमंत्री बनी हैं और उन्हें जो बंगला मिला है, उसमें आवश्यक मरम्मत और सुविधा सुधार कार्य करना ज़रूरी था। विपक्ष केवल राजनीति कर रहा है।”
रेखा गुप्ता की प्रतिक्रिया – ‘जनता की भावना सर्वोपरि’

हालांकि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अब तक इस मामले में कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है, लेकिन मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़े सूत्रों के अनुसार, उन्होंने विभाग से टेंडर की समीक्षा करने को कहा था। इसके बाद पीडब्ल्यूडी ने 7 जुलाई को आधिकारिक रूप से टेंडर को रद्द कर दिया।
सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि कोई भी कार्य तभी होगा जब वह पारदर्शी, आवश्यक और सार्वजनिक हित में हो। जनता की भावनाओं को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
वित्तीय और प्रशासनिक प्रभाव
इस टेंडर की रद्दीकरण की प्रक्रिया से सरकार ने जहां तत्कालिक वित्तीय व्यय से राहत पाई है, वहीं भविष्य में PWD को अधिक सतर्क रहना होगा। ऐसे टेंडर जिनमें सार्वजनिक धन का प्रयोग होता है, उन्हें अब अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ जारी करना होगा।
क्या यह मुद्दा पूरी तरह शांत हो गया है?
राजनीतिक गलियारों में हलचल अभी पूरी तरह थमी नहीं है। AAP और कांग्रेस इसे लेकर आगामी दिल्ली विधानसभा सत्र में मुद्दा बनाने की योजना में हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह प्रकरण रेखा गुप्ता के मुख्यमंत्री कार्यकाल की शुरुआत में उनकी छवि पर असर डाल सकता है।
भविष्य की राह: क्या होगा अब?
PWD विभाग ने स्पष्ट किया है कि मुख्यमंत्री आवास से जुड़ी कोई भी नई योजना अब प्रशासनिक समीक्षा और बजट नियंत्रण के तहत ही शुरू की जाएगी। सरकार इस बात की कोशिश करेगी कि आवासीय सुविधाएं भी सुनिश्चित हों और जन भावनाएं भी आहत न हों।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के बंगले के 60 लाख के टेंडर को रद्द करने का फैसला दिल्ली सरकार की ओर से एक राजनीतिक रूप से रणनीतिक और जनसंवेदनशील कदम माना जा रहा है। आने वाले समय में यह देखा जाएगा कि क्या सरकार इस मामले को यहीं समाप्त मानती है या फिर किसी संशोधित योजना के तहत कार्य आगे बढ़ेगा।
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