महंगाई की मार झेल रहे यूपी वासियों का बोझ और बढ़ने वाला है। दरअसल, यूपी की जनता को जून में बिजली का ज्यादा बिल देना होगा। दरअसल, फ्यूल सरचार्ज यानि ईंधन अधिभार के एवज में बिजली कंपनियां जून के बिल के साथ विद्युत उपभोक्ताओं से 4.27 प्रतिशत ज्यादा धनराशि वसूलने वाली हैं।
बिजली कंपनियां 390 करोड़ रुपये ज्यादा कमाएंगी

बिजली महंगी करके बिजली कंपनियां 390 करोड़ रुपये ज्यादा कमाएंगी। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन-2025 के तहत जनवरी में बिजली कंपनियों को प्रत्येक माह स्वतः फ्यूल एंड पावर परचेज एडजस्टमेंट सरचार्ज या ईंधन अधिभार शुल्क तय करने का अधिकार मिलने के बाद से राज्य में लगातार बिजली के दर बढ़ रहे हैं।
मनमाना सरचार्ज किया गया लागू

बता दें कि, सरचार्ज के लागू होने से अप्रैल जहां 3.45 करोड़ उपभोक्ताओं की बिजली 1.24 प्रतिशत महंगी हुई थी वहीं मई में दो प्रतिशत बिजली के बिल में कमी की गई थी। अप्रैल के बिजली के बिल में 1.24 प्रतिशत की बढ़ोतरी जनवरी में फ्यूल सरचार्ज के एवज में 78.99 करोड़ रुपये अधिक खर्च होने के कारण की गई थी। इसी तरह मई में फरवरी के खर्च को देखते हुए फ्यूल सरचार्ज तय किया गया था। जून में वसूले जाने वाले सरचार्ज को मार्च के खर्चे को देखते हुए तय किया गया है।
यूपी राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने किया विरोध

हालांकि, उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का 33,122 करोड़ रुपये सरप्लस होने के कारण फ्यूल सरचार्ज के एवज में बिजली महंगी किए जाने का विरोध किया है। परिषद अध्यक्ष ने कहा कि, उपभोक्ताओं का कंपनियों पर सरप्लस होने से सरचार्ज के एवज में बिजली महंगी करने का आदेश गैर कानूनी है। उन्होंने कहा कि, पावर कारपोरेशन को फ्यूल सरचार्ज के 390 करोड़ रुपये उपभोक्ताओं के सरप्लस से घटाना चाहिए था।
आयोग के सामने यह मुद्दा उठाएंगे

वर्मा ने कहा कि वह आयोग के सामने यह मुद्दा उठाएंगे कि सरप्लस के रहते फ्यूल सरचार्च के एवज में बढ़ोतरी के बजाय सिर्फ बिजली दर घटाने को ही लागू किया जाए। पावर कॉरपोरेशन मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन के तहत संशोधित एआरआर के माध्यम से 30 फीसदी बिजली दरों में बढ़ोतरी प्रस्तावित किया गया है। यह स्थिति तब है, जब विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर लगभग 33122 करोड़ बकाया (सरप्लस ) निकल रहा है। ऐसे में बढ़ोत्तरी का आदेश गैर कानूनी है। उपभोक्ता परिषद जल्द ही नियामक आयोग के सामने यह भी मुद्दा उठाएगा। उपभोक्ताओं के बकाये को ईंधन अधिभार शुल्क की वसूली के जरिए अदायगी किया जा सकता है। जब भी ईंधन अधिभार शुल्क अधिक हो तो उपभोक्ताओं के बिल में पहले से बकाया चल रहे रुपये में से कटौती की जानी चाहिए।
Leave a comment