“अगर, अपनाया मुस्लिम धर्म तभी डिग्री होगी पूरी”…,विवादों में जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी
Edited by: Vandana Ravindra.
राजधानी दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी वैसे तो अक्सर ही सुर्खियों में बनी रहती है। लेकिन इस बार दिल्ली के प्रमुख विश्वविद्यालयों में से एक जामिया विश्वविद्यालय एक रिपोर्ट के बाद जांच के दायरे में आ गया है। दरअसल, विश्वविद्यालय प्रशासन पर गैर-मुस्लिमों के खिलाफ भेदभाव और धर्म परिवर्तन के लिए जबरदस्ती करने के मामलों का आरोप लगाया गया है।
एनजीओ “कॉल फॉर जस्टिस” की कानूनी और प्रशासनिक हस्तियों के नेतृत्व में तैयार की गई रिपोर्ट में संस्थान के अंदर होने वाले इस भेदभाव को उजागर किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि, गैर-मुस्लिम छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों के खिलाफ भेदभाव के विवरण सामने आए हैं। यहां एक सहायक प्रोफेसर को मुस्लिम सहकर्मियों ने ताने मारे और अपमान किया। इतना ही नहीं यहां अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय के एक गैर-मुस्लिम संकाय सदस्य को कार्यालय फर्नीचर जैसी बुनियादी सुविधाएं तक नहीं दी गयीं।
इसके अलावा एक परीक्षा के सहायक नियंत्रक का स्टाफ सदस्यों ने सार्वजनिक रूप से मजाक बनाया। रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि, आदिवासी छात्रों और शिक्षकों को विश्वविद्यालय छोड़ने के लिए मजबूर किया है। एक प्रोफेसर पर तो भी आरोप है कि उसने कथित तौर पर छात्रों से कहा कि, उनकी डिग्री पूरी करना इस्लाम धर्म अपनाने पर निर्भर है, उन्होंने धर्म परिवर्तन के बाद व्यक्तिगत लाभ का हवाला दिया।
हालांकि, जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय ने आरोपों को लेकर एक बयान जारी किया है। विश्वविद्यालय ने माना कि पिछले प्रशासन ने ऐसी घटनाओं को गलत तरीके से संभाला होगा, लेकिन कुलपति प्रोफेसर मजहर आसिफ के नेतृत्व में न्यायसंगत माहौल बनाने के प्रयासों पर जोर दिया। विश्वविद्यालय ने ऐसे दावों को पुष्टि करने के लिए कोई सबूत होने से साफ इनकार किया है।