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पुरी में शुरु हुई जगन्नाथ यात्रा, पीएम मोदी ने दी शुभकामनाएं, कहा- “सभी की सुख और समृद्धि की कामना करता हूं”

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जगन्नाथ यात्रा
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भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के लिए लाखों श्रद्धालु पुरी पहुंचे हैं। ओडिशा सरकार ने रथ यात्रा के लिए काफी तैयारी की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के मौके पर देशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं। उनकी तरफ से सोशल मीडिया पर एक पोस्ट भी शेयर की गई है। पीएम ने कहा कि, सभी की सुख और समृद्धि की कामना करता हूं।

पीएम मोदी – image source: Google

प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पोस्ट के जरिए कहा कि, ”भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के पवित्र अवसर पर सभी देशवासियों को मेरी ढ़ेरों शुभकामनाएं दी। श्रद्धा और भक्ति का यह पावन उत्सव हर किसी के जीवन में सुख, समृद्धि, सौभाग्य और उत्तम स्वास्थ्य लेकर आए, यही कामना है. जय जगन्नाथ!” भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के पवित्र अवसर पर सभी देशवासियों को और हर किसी के जीवन में सुख, समृद्धि, सौभाग्य और उत्तम स्वास्थ्य लेकर  कामना करते हुए प्रधानमंत्री ने बधाई संदेश के अलावा अपने पोस्ट के साथ एक वीडियो भी साझा किया है, जिसमें वो भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के बारे में बता रहे हैं। वीडियो संदेश में कहा गया कि, महाप्रभु हमारे लिए अराध्य भी हैं, प्रेरणा भी हैं। जगन्नाथ हैं, तो जीवन है। भगवान जगन्नाथ जनता जनार्दन को दर्शन देने के लिए नगर भ्रमण के लिए जा रहे हैं।

इसके अलावा, प्रधानमंत्री आगे वीडियो में रथयात्रा की खूबियों के बारे में भी बताते हैं। कहते हैं कि, रथयात्रा की पूरी दुनिया में एक विशिष्ट पहचान है। देश के अलग-अलग राज्यों में बहुत-बहुत धूमधाम से रथयात्रा निकाली जा रही है। ओडिशा के पुरी में निकाली जा रही रथयात्रा अपने आप में अद्भुत है। प्रधानमंत्री वीडियो में कहते हैं कि इन रथ यात्राओं में जिस तरह से हर वर्ग, हर समाज के लोग उमड़ते हैं, वो अपने आप में बहुत अनुकरणीय है। यह आस्था के साथ एक भारत श्रेष्ठ भारत का भी प्रतिबिंब है। इस पावन अवसर पर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई। साथ ही, प्रधानमंत्री ने अपने एक अन्य पोस्ट में आषाढ़ी बीज के विशेष अवसर पर दुनियाभर के कच्छी समुदाय के लोगों को भी शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि आषाढ़ी बीज के विशेष अवसर पर, विशेष रूप से दुनिया भर के कच्छी समुदाय को शुभकामनाएं। आने वाला वर्ष सभी के लिए शांति, समृद्धि और उत्तम स्वास्थ्य लेकर आए।

बता दें कि, देशभर में प्रभु जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाती है। वहीं, ओडिशा के पुरी की यात्रा सबसे बड़ी होती है। ओडिशा के पुरी से शुरू हुई यह जगन्नाथ यात्रा गुंडिचा मंदिर तक जाएगी। यह यात्रा 12 दिनों तक चलेगी। इसका समापन 15 जुलाई को नीलाद्रि विजय के साथ होगा, जब भगवान अपने मूल मंदिर लौटेंगे। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, भगवान जगन्नाथ साल में एक बार अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर जाते हैं। इस यात्रा की तैयारी महीनों पहले शुरू हो जाती है। इस यात्रा के दौरान कई तरह के धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं। पुलिस सूत्रों ने बताया कि, गुरुवार शाम तक करीब एक लाख लोग पुरी पहुंच चुके थे और शुक्रवार सुबह यह संख्या कई गुना बढ़ गई। उन्होंने बताया कि, देशभर और विदेश से लाखों श्रद्धालुओं के इस रथ यात्रा में भाग लेने की उम्मीद है। शहर में करीब 10,000 सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गयी है, जिनमें केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की आठ टुकड़ियां भी शामिल हैं। ओडिशा के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) वाई बी खुरानिया ने कहा कि पहली बार पूरे महोत्सव पर करीबी नजर रखने के लिए पुरी में एक एकीकृत कमान एवं नियंत्रण केंद्र खोला गया है।

जगन्नाथ यात्रा- image source: Google

जगन्नाथ यात्रा (या रथ यात्रा) ओडिशा के पुरी शहर में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की एक वार्षिक धार्मिक यात्रा है, जो बहुत भव्य और प्रसिद्ध होती है। यह यात्रा हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ शुक्ल द्वितीया (जून-जुलाई) को होती है। इस दिन से जुड़ी परंपराएं, आयोजन और आस्था बहुत गहरे और विस्तृत हैं।

जगन्नाथ यात्रा- image source: Google

जगन्नाथ यात्रा में क्या होता है – मुख्य बातें:

1. विशेष रथ निर्माण

भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के लिए विशाल लकड़ी के तीन अलग-अलग रथ बनाए जाते हैं।

ये रथ हर साल नए बनाए जाते हैं।

जगन्नाथ का रथ: नंदीघोष (16 पहिए)

बलभद्र का रथ: तालध्वज (14 पहिए)

सुभद्रा का रथ: पद्मध्वज (12 पहिए)

2. रथ यात्रा की शुरुआत

तीनों भगवानों की मूर्तियों को जगन्नाथ मंदिर से बाहर लाया जाता है।

भक्त उन्हें रथों पर विराजमान करते हैं और हजारों-लाखों श्रद्धालु रथ को खींचते हैं।

रथ खींचना भक्तों के लिए बहुत पुण्य का कार्य माना जाता है।

3. गुंडिचा मंदिर यात्रा

रथ मंदिर से लगभग 3 किलोमीटर दूर गुंडिचा मंदिर तक जाता है।

वहां भगवान 7 दिन तक विश्राम करते हैं (गुंडिचा माता को भगवान की मौसी माना जाता है)।

4. बहुदा यात्रा (वापसी यात्रा)

सात दिन बाद भगवान वापस जगन्नाथ मंदिर लौटते हैं। इसे बहुदा यात्रा कहते हैं।

5. स्नान यात्रा और अन्नासर

रथयात्रा से पहले भगवानों का विशेष स्नान पूर्णिमा के दिन होता है, जिसे स्नान यात्रा कहते हैं।

इसके बाद भगवान बीमार पड़ जाते हैं (मान्यता के अनुसार) और 15 दिन तक दर्शन बंद रहते हैं। इसे अन्नासर अवधि कहते हैं।

6. नेत्र उत्सव

रथ यात्रा से पहले भगवानों की आंखें दोबारा बनाई जाती हैं। इसे नेत्र उत्सव कहा जाता है।

रथ यात्रा क्यों खास है?

यह एकमात्र समय है जब भगवान जगन्नाथ मंदिर से बाहर आते हैं, जिससे हर वर्ग, जाति और धर्म के लोग उन्हें देख सकते हैं।

यह यात्रा समरसता, भक्ति, और समर्पण का प्रतीक है।

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