लखनऊ, 16 जुलाई 2025 — भारत की संसद का भव्य मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होने जा रहा है, जिसमें केंद्र सरकार आठ नए विधेयक प्रस्तुत करने की तैयारी में है। इनमें मणिपुर में राष्ट्रपति शासन से जुड़े महत्वपूर्ण मसले पर भी प्रस्ताव शामिल है। इसके साथ ही पिछले बजट सत्र की लोकसभा और राज्यसभा की उत्पादकता दर का तुलनात्मक विश्लेषण भी चर्चा में है। आइये विस्तार से समझते हैं आगामी सत्र की तैयारियों, प्रमुख विधेयकों एवं पिछली कार्य क्षमता के आंकड़ों को:
पिछले बजट सत्र की कार्यक्षमता: लोकसभा–18%, राज्यसभा–119%
अप्रैल में समाप्त हुए बजट सत्र के दौरान संसद की कार्यक्षमता सीमित रही:
- लोकसभा की कार्यक्षमता महज लगभग 18 प्रतिशत रही, जोकि औसतन अपेक्षाकृत बहुत कम मानी जाती है।
- राज्यसभा की कार्यक्षमता हालांकि 119 प्रतिशत रही—आंशिक रूप से विपक्षी विवाद और निर्बाध बहस के कारण अप्रत्याशित ढंग से अधिक रही। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने संवाददाताओं को बताया कि “राज्यसभा में भी भरपूर कामकाज हुआ”।
दोनों सदनों में कुल 16 विधेयक पारित किए गए। इसमें वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की रिपोर्ट प्रस्तुत होने के बाद मंजूरी मिली। इसी बीच हंगामे हुए, बावजूद इसके विधेयक पारित कर लिए गए।
मानसून सत्र की रूपरेखा:
- आरंभ तिथि: सोमवार, 21 जुलाई 2025
- समापन अपेक्षित: अगस्त के अंतिम सप्ताह में (अपनी परंपराओं के अनुसार)
- सत्र की अवधि: लगभग 3–4 हफ्ते
- लोकसभा में प्रस्तुत होने वाले विधेयक (संभावित आठ):
क्र.सं. | विधेयक का नाम |
---|---|
1 | मणिपुर वस्तु एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2025 |
2 | जन‑विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक, 2025 |
3 | भारतीय संस्थान प्रबंधन (संशोधन) विधेयक, 2025 |
4 | कराधान विधि (संशोधन) विधेयक, 2025 |
5 | भू‑विरासत स्थल एवं भू‑अवशेष (संरक्षण एवं रखरखाव) विधेयक, 2025 |
6 | खान एवं खान (विकास एवं विनियमन) संशोधन विधेयक, 2025 |
7 | राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक, 2025 |
8 | राष्ट्रीय डोपिंग रोधी (संशोधन) विधेयक, 2025 |
साथ ही लोकसभा द्वारा पारित किए जाने की संभावना वाले अन्य विधेयक:
- गोवा की राज्य विधानसभा क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधित्व का पुनर्समायोजन विधेयक, 2024
- मर्चेंट शिपिंग विधेयक, 2024
- भारतीय बंदरगाह विधेयक, 2025
- आयकर विधेयक, 2025
मणिपुर पर राष्ट्रपति शासन विस्तार

नागरिक अधिकार एवं शांति की दृष्टि से चर्चा में रहे मणिपुर राज्य में 13 फरवरी, 2025 से राष्ट्रपति शासन लागू है। यह प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत चल रही है। इस शासन को हर छह महीने में संसद की मंजूरी अनिवार्य रूप से लेनी होती है।
- मौजूदा समय में यह शासन लंबित है 13 अगस्त, 2025 तक, और नई अवधि के लिए विधेयक पेश होने की संभावना है। इससे स्पष्ट है कि सरकार फिलहाल मणिपुर में राष्ट्रपति शासन हटाने का कोई त्वरित निर्णय नहीं ले रही।
- नया “मणिपुर राष्ट्रपति शासन विस्तार विधेयक” संसद में पेश किया जाएगा, जिसे लोकसभा व राज्यसभा दोनों में हरी झंडी मिलनी है।
प्रस्तावित अन्य प्रमुख विधेयक
1. वस्तु एवं सेवा कर (GST) – मणिपुर संशोधन
- मणिपुर को राजस्व और व्यापार को विकसित करने के लिए विशेष छूट प्रदान करने तथा सीएसटी/जीएसटी क्षेत्र में सुधार की रूपरेखा बन सकती है।
2. जन‑विश्वास (विश्वास मत में संशोधन)
- मंत्रिमंडल द्वारा लाया जा सकता है, जिसमें हमलावर संसदीय व्यवस्था, विश्वास प्रस्ताव की समयसीमा, बहुसंख्यक गणना आदि बदलने के प्रावधान होंगे।
3. भारतीय संस्थान प्रबंधन (संशोधन)
- उच्च शिक्षा संस्थानों जैसे IIT, IIM, NIT के प्रशासनिक और वित्तीय स्वायत्तता के दिशानिर्देशों में सुधारयुक्त सलाहियमंकित बदलाव।
4. कराधान विधि (संशोधन)
- कर सुविधाओं, आयकर स्लैब में परिवर्तन, विलम्ब शुल्क, ऑफलाइन/ऑनलाइन प्रक्रिया और विदेशी आय पर धारा में संशोधन अपेक्षित।
5. भू-विरासत स्थल एवं भू-अवशेष (संरक्षण एवं रखरखाव)
- पुरातात्विक स्थल, भू‑विज्ञानिक संरचना, गुफाएँ, स्तम्भ श्रृंखलियों आदि की रक्षा और संरक्षित सूची हेतु संस्थापन एवं दायरा विस्तारित।
6. खान एवं खान (विकास एवं विनियमन)
- खनन गतिविधियों, पर्यावरणीय क्लियरेंस, रॉयल्टी संरचना, भुगोल मानदंड, आत्मनिर्भरता धारणा और निष्पादन प्रक्रिया पर बदलाव।
7. राष्ट्रीय खेल प्रशासन
- राष्ट्रीय और राज्य खेल निकायों के गठन, अन्तर्राष्ट्रीय मानदंड, नैतिक आचार संहिता, पारदर्शिता, विवाद निवारण की शासन समिति आदि।
8. राष्ट्रीय डोपिंग रोधी (संशोधन)
- खेल में डोपिंग की रोकथाम, विश्व डोपिंग निषेध एजेंसी (WADA) के उपर धारणा, जांच एवं दंडात्मता प्रक्रियाओं में सुदृढ नियंत्रण।
संसदीय प्राथमिकताएँ एवं प्रक्रिया
- संसदीय खेती: सत्र के दौरान प्रेसिडेंट के अभिभाषण से शुरुआत होगी, जिसके बाद अध्यक्ष द्वारा सरकार से प्राथमिकताओं को उल्लेख करने का निवेदन होगा।
- टाइम टेबल और Business Advisory Committee (BAC): लोकसभा व राज्यसभा BAC द्वारा सत्र की समय-सारणी ठहराई जाती है, जिसमें विधेयकों की पाठानुक्रम और समय समीक्षा रखी जाती है।
- समयबद्ध बहस और रिपोर्ट: आयोगों/समिति की रिपोर्ट (जैसे JPC, Standing Committees) नियंत्रित समय में लंबित विधेयकों के फरमान में सहायक होती है।
- विपक्षी हस्तक्षेप: हंगामों की संभावना बनी रहेगी, क्योंकि संसद के पिछले सत्रों में लोकसभा में कम उत्पादकता का प्रमुख कारण हंगामा रहा। हालांकि राज्य सभा ने अपेक्षाकृत अधिक समय तक कार्य किया।
- लोकसभा की कार्यकुशलता और राज्यसभा की तेज गति—बताती है कि संसदीय दल और विपक्ष समय-समय पर गंभीर बहस में उलझते हैं, जिससे समय प्रबंधन चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
- आठ प्रमुख विधेयक दर्शाते हैं कि सरकार नीतिगत रूप से उत्पादकता और सुधार के एजेंडे पर क्रियाशील है।
- मणिपुर में राष्ट्रपति शासन विस्तार से प्रशासनिक नियंत्रण जारी रखने की नीति स्पष्ट होती है; समयबद्ध अनुमोदन इसके प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को उजागर करता है।
- आने वाले हंगामों और जन‑विश्वास प्रस्ताव जैसी संवेदनशील विधेयकों के कारण सत्र राह में काफी गतिशील रहेगा।
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