फ्लोरिडा की एक चुनावी सभा में डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पुराने अंदाज में व्यापारिक घाटे को मुद्दा बनाते हुए कहा:
हमने बहुत सारे देशों को फ्री पास दे रखा है,भारत, चीन, वियतनाम, मैक्सिको , सभी अमेरिका को लूट रहे हैं, राष्ट्रपति बनते ही मैं टैरिफ बढ़ाऊंगा,उनका यह बयान अमेरिकी चुनावों में “अमेरिका फर्स्ट” एजेंडे को फिर से ज़ोर देने का संकेत माना जा रहा है,हालांकि, चीन और वियतनाम के संदर्भ में उनकी नाराज़गी अपेक्षित थी, लेकिन भारत का नाम लेना और उस पर टैरिफ बढ़ाने की धमकी देना राजनीतिक और रणनीतिक विशेषज्ञों को चौंका गया,
निक्की हेली ने क्यों दी ट्रंप को नसीहत?
निक्की हेली, जो खुद भारतीय मूल की अमेरिकी नेता हैं, और संयुक्त राष्ट्र में ट्रंप प्रशासन के दौरान अमेरिका की राजदूत रह चुकी हैं, उन्होंने तुरंत ही ट्रंप के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी,भारत एक लोकतांत्रिक, सैन्य और आर्थिक साझेदार है,हम चीन से मुकाबले में भारत को नजरअंदाज नहीं कर सकते, भारत से टकराव अमेरिका को महंगा पड़ेगा,
हेली ने यह भी कहा कि:
भारत के साथ व्यापारिक मतभेद बातचीत से सुलझाए जा सकते हैं, लेकिन अगर हम टैरिफ लगाकर संबंध बिगाड़ते हैं, तो चीन को लाभ मिलेगा और अमेरिका को नुकसान,

भारत,अमेरिका व्यापारिक संबंध, एक नजर
- 2024 में भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार 200 अरब डॉलर के पार चला गया था,
- अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाजार है, वहीं भारत, अमेरिका के लिए उभरता हुआ रणनीतिक पार्टन,
- दोनों देश iCET (Initiative on Critical and Emerging Technologies) जैसे समझौतों में साथ काम कर रहे हैं,
- भारत, अमेरिका की चिप, डिफेंस, एनर्जी और फार्मा कंपनियों के लिए बड़ा बाज़ार है,
इसलिए टैरिफ जैसे एकतरफा फैसले से न सिर्फ व्यापारिक नुकसान होगा, बल्कि कूटनीतिक खटास भी बढ़ेगी,

क्या टैरिफ से भारत को होगा नुकसान?
ट्रंप की बातों को यदि भविष्य की नीति मान लिया जाए तो भारत के लिए कुछ चुनौतियां सामने आ सकती हैं,
- टेक्सटाइल, स्टील, फार्मा और आईटी सेवा क्षेत्र पर टैरिफ का प्रभाव पड़ेगा,
- भारत का निर्यात अमेरिका में महंगा हो जाएगा, जिससे प्रतिस्पर्धा घटेगी,
- भारतीय आईटी कंपनियों और स्टार्टअप्स पर भी असर दिख सकता है,
लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि भारत की आत्मनिर्भर रणनीति और बढ़ती वैकल्पिक बाजार पहुंच इस प्रभाव को संतुलित कर सकती है,

राजनीतिक रणनीति या वाकई नीति संकेत?
ट्रंप का यह बयान ऐसे समय में आया है जब 2025 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव नजदीक हैं, जानकारों के अनुसार,
- ट्रंप का बयान राजनीतिक आधार को मजबूत करने की कोशिश है,
- “अमेरिका फर्स्ट,और चीन विरोधी बयानबाज़ी की तर्ज पर यह बयान आया,
- लेकिन भारत जैसे मित्र देश को लपेटने से अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में उलझन बढ़ेगी,
राजनीतिक विश्लेषक थॉमस फ्रीमैन के मुताबिक:
निक्की हेली की प्रतिक्रिया सिर्फ भारतीय मूल के कारण नहीं, बल्कि रणनीतिक समझदारी का संकेत है, ट्रंप को अगर वैश्विक गठबंधन चाहिए, तो भारत से रिश्ते सुधारने होंगे, बिगाड़ने नहीं,
भारत की प्रतिक्रिया क्या हो सकती है?
हालांकि भारत सरकार की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन विदेश मंत्रालय सूत्रों के अनुसार:
- भारत स्थिति का अध्ययन कर रहा है और जरूरी होने पर राजनयिक स्तर पर बातचीत की जाएगी,
- भारत को उम्मीद है कि अमेरिका में दोनों पक्षों में भारत को लेकर व्यापक सहमति बनी रहेगी,
इसके अलावा भारत में व्यापार संगठनों और निर्यातकों ने भी चिंता जताई है,

भारतीय,अमेरिकी समुदाय क्या सोचता है?
अमेरिका में रह रहे भारतीय मूल के नागरिकों और उद्यमियों ने ट्रंप के बयान को “भ्रामक” और “अनुचित” बताया है,
ज्योति नायर, टेक्सास की एक उद्यमी कहती हैं,
भारत से व्यापार एकतरफा नहीं है, अमेरिका को भी भारतीय बाजार से भारी लाभ होता है, ट्रंप का ये बयान वोटबैंक के लिए है, हकीकत से नहीं जुड़ा,

निक्की हेली: एक भारतीय,अमेरिकी आवाज
निक्की हेली का भारतीय कनेक्शन उन्हें इस मुद्दे पर और ज्यादा वैधता देता है, उनके माता-पिता पंजाब से अमेरिका गए थे, और हेली ट्रंप कैबिनेट की सबसे प्रमुख भारतीय चेहरे थीं,
ट्रंप की नीतियों के आलोचक उन्हें “सॉफ्ट स्पोकन स्ट्रेटेजिस्ट” मानते हैं, उनका यह बयान संकेत है कि ट्रंप की हर नीति को उनके अपने पूर्व सहयोगी भी चुनौती दे सकते हैं,

आगे की राह: क्या हो सकता है ट्रंप की धमकी का असर?
- चुनावी माहौल में बयान बदला जा सकता है, लेकिन भारत सतर्क रहेगा
- अगर ट्रंप राष्ट्रपति बनते हैं, तो व्यापारिक वार्ताएं टकराव भरी हो सकती हैं,
- भारत को अन्य विकल्पों जैसे यूरोप, मिडल ईस्ट और साउथ ईस्ट एशिया में व्यापार बढ़ाना होगा,
- भारत,अमेरिका रिश्ते सिर्फ व्यापार नहीं, बल्कि सामरिक, टेक्नोलॉजी और डिफेंस में भी अहम हैं, जो इस मुद्दे से दूर रह सकते हैं,
भारत पर ट्रंप का टैरिफ और निक्की हेली की चेतावनी, एक अहम राजनीतिक संकेत
डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ संबंधी बयान ने भले ही भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों को लेकर चिंता बढ़ा दी हो, लेकिन निक्की हेली की तीखी प्रतिक्रिया ने यह भी साफ कर दिया कि अमेरिका में सभी भारत के खिलाफ नहीं सोचते,
इस मुद्दे ने चुनावी राजनीति, कूटनीति, और वैश्विक गठबंधन की जटिलता को फिर से उजागर कर दिया है, आने वाले दिनों में ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या ट्रंप इस बयान पर कायम रहते हैं या पीछे हटते हैं , और क्या भारत अपने हितों की रक्षा के लिए पहले से रणनीतिक तैयारी करता है,

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