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भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला स्पेस स्टेशन पहुंचे, चारों मेहमानों को बांटी गयी वेलकम ड्रिंक

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भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला
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भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला स्पेस स्टेशन पहुंच गए हैं। चारों एस्ट्रोनॉट का स्टेशन पर मौजूद अंतरिक्षयात्रियों ने स्वागत किया। इसके बाद चारों मेहमानों को वेलकम ड्रिंक दी गई। इसी के साथ भारत का स्पेस स्टेशन पहुंचने का सपना पूरा हो गया।

भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला- image source : Google

पहला भारतीय स्पेस स्टेशन पहुंच चुका है। अब अगले 14 दिन ही ये स्टेशन रहेंगे। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचने से पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने एक मैसेज भेजा है। जिसमें उन्होंने अंतरिक्ष से नमस्कार मैसेज भेजा है। उन्होंने अपने मैसेज में यह कहा है कि, वे सबकुछ बच्चे की तरह सीख रहे हैं। उन्होंने बताया कि, वैक्यूम में तैरना एक अद्‌भुत अनुभव था। अंतरिक्ष यान से वीडियो लिंक के माध्यम से अपना अनुभव साझा करते हुए शुभांशु शुक्ला ने बताया कि वे एक्सिओम-4 के प्रक्षेपण से पहले 30 दिनों तक वे कोरेंटिन रहे, इसलिए बाहर जो कुछ चल रहा था, उससे वे अनभिज्ञ थे। उनके दिमाग में केवल यह चल रहा था कि उन्हें बस जाने दिया जाए। एक्सिओम-4 मिशन का ड्रैगन कैप्सूल अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से जुड़ गया है। इस ऐतिहासिक क्षण के साथ ही शुभांशु शुक्ला पहले ऐसे भारतीय बन गए हैं, जिन्होंने अंतरिक्ष स्टेशन में प्रवेश किया है।

भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला- image source : Google

शुभांशु शुक्ला इस मिशन में बतौर पायलट शामिल हुए हैं। यह मिशन 14 तक का है और इस दौरान शुभांशु शुक्ला मीटर 0‑ग्रेविटी अनुभव और लाइव सिस्टम प्रशिक्षण लेंगे, जो गगनयान मिशन के लिए बहुत लाभकारी होगा। ड्रैगन कैप्सूल की अंतरिक्ष स्टेशन से डॉकिंग भारतीय समयानुसार शाम के 4.02 बजे हुई है। ड्रैगन कैप्सूल का प्रक्षेपण 25 जून को दोपहर 12 बजकर दो मिनट पर किया गया था। गगनयान मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का पहला मानवीय अंतरिक्ष मिशन है। इस मिशन का उद्देश्य अंतरिक्ष यात्रियों को वहां भेजना और उनकी सुरक्षित वापसी कराना है। गगनयान मिशन का उद्देश्य तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को लगभग 400किमी की कक्षा में 3 – 7 दिन तक ले जाना और फिर समुद्र में सुरक्षित लैंडिंग कर वापस लाना है। इस मिशन की तैयारी की जा रही है और कई तरह के टेस्ट किए जा रहे हैं। शुभांशु शुक्ला को एक्सिओम-4 मिशन पर भेजना भी इसी मिशन की तैयारी का हिस्सा है। इस मिशन में वे वैक्यूम में रहना, जीना और खाना सीख रहे हैं।

भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला- image source : Google

शुभांशु शुक्ला एक्सिओम-4 (Ax-4) मिशन के तहत स्पेसएक्स ड्रैगन कैप्सूल अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से तय समय से 20 मिनट पहले डॉक हुआ.  इसके बाद 1-2 घंटे की जांच हुई, जिसमें हवा के रिसाव और दबाव की स्थिरता की पुष्टि होगी. इसके बाद क्रू ISS में प्रवेश करेगा। ये यान 28,000 किमी/घंटा की रफ्तार से 418 किमी ऊंचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है। लॉन्च के बाद से यह लगभग 26 घंटे की यात्रा पूरी कर चुका है और अब अंतिम चरण में है। इसके लिए यान ने कई कक्षीय मैन्यूवर्स किए हैं, ताकि ISS की कक्षा के साथ अलाइन हो सके। ड्रैगन कैप्सूल की ISS के साथ डॉकिंग एक स्वचालित (autonomous) प्रक्रिया है, लेकिन शुभांशु और कमांडर पेगी व्हिटसन इसकी निगरानी करेंगे। यह प्रक्रिया सटीकता और सुरक्षा के लिए डिज़ाइन की गई है। इसे चार तरह से समझा जा सकता है। रेंडेजवू यानि Rendezvous ड्रैगन कैप्सूल जो लॉन्च के बाद 90 सेकंड के इंजन फायरिंग के साथ अपनी गति और दिशा समायोजित करता है। दोपहर 2:33 बजे IST तक, यान 400 मीटर नीचे और 7 किमी पीछे से शुरू हुआ और अब 200 मीटर की दूरी पर है। स्पेसएक्स और नासा के ग्राउंड कंट्रोलर यान के सिस्टम की जांच करते हैं।

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Close Approach में 200 मीटर की दूरी पर, ड्रैगन ISS के साथ सीधा संचार शुरू करता है। यह चरण 6 घंटे तक सुरक्षित पथ पर रह सकता है ताकि कोई जोखिम न हो। अंतिम स्टेप Final Approach में 20 मीटर की दूरी पर, ड्रैगन लेजर सेंसर, कैमरे और GPS का उपयोग करके ISS के हार्मनी मॉड्यूल के डॉकिंग पोर्ट से सटीक संरेखण करता है। यह कुछ सेंटीमीटर प्रति सेकंड की गति से आगे बढ़ता है, जो बेहद धीमी और नियंत्रित गति है। शुभांशु इस दौरान यान की गति, कक्षा और सिस्टम (जैसे एवियोनिक्स और प्रणोदन) की निगरानी करेंगे। इसमें सॉफ्ट और हार्ड कैप्चर (Soft and Hard Capture) होना चाहिए। जैसे सॉफ्ट कैप्चर इसमें मैग्नेटिक ग्रिपर यान को डॉकिंग पोर्ट की ओर खींचते हैं। हार्ड कैप्चर में मैकेनिकल लैच और हुक यान को सुरक्षित करते हैं। एक दबाव-रोधी सील बनाई जाती है। इसके बाद 1-2 घंटे की जांच होगी, जिसमें हवा के रिसाव और दबाव की स्थिरता की पुष्टि होगी। इसके बाद क्रू ISS में प्रवेश करेगा।

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