नई दिल्ली/बलरामपुर, 13 जुलाई 2025:
अवैध धर्मांतरण और हवाला के आरोपों में घिरे छांगुर बाबा उर्फ जमालुद्दीन के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच तेजी से आगे बढ़ रही है। ईडी को अब तक बाबा से जुड़े कुल 30 बैंक खातों में से 18 खातों की जानकारी मिल चुकी है। इन 18 बैंक खातों में लगभग 68 करोड़ रुपये के लेन-देन का खुलासा हुआ है। इससे एजेंसी के अफसर भी हैरान हैं। खास बात यह है कि इनमें से करीब 7 करोड़ रुपये की रकम सिर्फ तीन महीनों के भीतर विदेशों से ट्रांसफर की गई है।
ईडी को शक है कि यह रकम अंतरराष्ट्रीय फंडिंग नेटवर्क के जरिए भारत भेजी गई, जिसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर अवैध धर्मांतरण, प्रॉपर्टी निवेश और धार्मिक स्थलों के निर्माण में किया गया।

तीन महीनों में विदेश से आए 7 करोड़ रुपये
सूत्रों के मुताबिक, जांच के दौरान सामने आया है कि पिछले तीन महीनों में छांगुर बाबा के खातों में विदेशों से लगभग 7 करोड़ रुपये ट्रांसफर हुए हैं। ये ट्रांजेक्शन अलग-अलग देशों से अलग-अलग माध्यमों से किए गए, जिनमें हवाला नेटवर्क, विदेशी एनजीओ के सहयोग और बिटकॉइन जैसी क्रिप्टो करेंसी के संकेत भी मिले हैं। ईडी अब यह जानने में जुटी है कि इन पैसों की असली स्रोत क्या है और क्या यह रकम किसी अंतरराष्ट्रीय संगठन से जुड़ी हुई है?
30 में से 18 खातों का खुलासा, बाकी की जांच जारी
ईडी ने छांगुर बाबा से जुड़े 30 बैंक खातों की पहचान की है, जिनमें से अब तक 18 खातों की जानकारी जुटा ली गई है। इन खातों में 68 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ है। कई ट्रांजेक्शनों में कैश डिपॉजिट, प्रॉपर्टी खरीद, धार्मिक संस्थानों को फंड ट्रांसफर और बड़े पैमाने पर निर्माण कार्यों में खर्च की पुष्टि हुई है।
ईडी अधिकारियों के अनुसार, “यह सिर्फ शुरुआती आंकड़ा है। बाकी 12 खातों की जानकारी और ट्रांजेक्शन हिस्ट्री सामने आने के बाद यह रकम कहीं ज्यादा हो सकती है।”
बेशकीमती अचल संपत्तियों पर नजर
प्रवर्तन निदेशालय ने बलरामपुर, गोंडा, बहराइच और लखनऊ समेत कई जिलों में छांगुर बाबा की अचल संपत्तियों की जानकारी एकत्र करनी शुरू कर दी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, बाबा ने इन जगहों पर धार्मिक स्थलों के नाम पर विशाल कॉम्प्लेक्स, रिहायशी भवन, भूमि के बड़े प्लॉट और व्यवसायिक संपत्तियों में निवेश किया है।
बलरामपुर में बाबा के नाम पर बना एक धार्मिक व रिहायशी कॉम्प्लेक्स कई एकड़ में फैला हुआ है, जिसकी बाजार कीमत कई करोड़ रुपये बताई जा रही है। अधिकारियों को संदेह है कि यह पूरी संपत्ति विदेशी फंडिंग से खड़ी की गई है।
विदेशी फंडिंग से धर्मांतरण का संदेह
ईडी को जो साक्ष्य मिले हैं, उनमें यह भी सामने आया है कि छांगुर बाबा द्वारा उत्तर प्रदेश के कई पिछड़े क्षेत्रों में गरीब और आदिवासी समुदायों के बीच धर्मांतरण कराया गया। इसके लिए उन्हें आर्थिक मदद, नौकरी का झांसा, शिक्षा और इलाज के नाम पर प्रलोभन दिया गया।
जांच एजेंसी मान रही है कि बाबा ने इन योजनाओं के लिए जो फंडिंग हासिल की, वह अधिकतर विदेशी स्रोतों से आई है। कुछ रकम को फर्जी एनजीओ और धर्मार्थ ट्रस्ट के जरिए कानूनी स्वरूप देकर देश में लाया गया, जबकि कुछ धनराशि को हवाला नेटवर्क और संदिग्ध क्रिप्टो ट्रांजेक्शन के जरिये छुपाया गया।
इनकम टैक्स और जमीन खरीद की जांच भी शुरू
ईडी ने अब बाबा के इनकम टैक्स रिटर्न, जमीनों की खरीद-बिक्री, और संपत्ति पंजीकरण दस्तावेजों की भी जांच शुरू कर दी है। अधिकारियों ने बताया कि बाबा के नाम पर और उनके करीबी सहयोगियों के नाम पर कई कंपनियां और ट्रस्ट भी पंजीकृत हैं। इन संस्थाओं के जरिए न सिर्फ विदेशी धन को स्वीकृति दी गई बल्कि उसे विभिन्न निर्माण कार्यों और सामाजिक सेवा के नाम पर खर्च दिखाया गया।
होटल में दो महीने तक छिपा रहा बाबा, पहचान छुपाकर रुका
छांगुर बाबा की गिरफ्तारी से पहले वह लखनऊ के एक होटल में करीब दो महीने तक ठहरा था। होटल मैनेजर के अनुसार, उसने अपनी पहचान बाप-बेटी के रूप में छुपाकर एक महिला (नसरीन) के साथ कमरा बुक किया था। इससे पहले बाबा बलरामपुर, देहरादून और दिल्ली में भी अपनी लोकेशन बदलता रहा। जांच एजेंसी मानती है कि वह गिरफ्तारी से बचने के लिए लगातार पहचान बदलता रहा।
ईडी की अगली रणनीति: कुर्की और ट्रायल की तैयारी
जांच के आगे बढ़ने के साथ ही अब ईडी प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत बाबा की संपत्तियों को फ्रीज और कुर्क करने की दिशा में बढ़ रही है। इसके अलावा बाबा के सहयोगियों और फाइनेंशियल नेटवर्क पर भी शिकंजा कसने की तैयारी है।
सूत्रों के अनुसार, आने वाले दिनों में बाबा के ट्रस्ट और एनजीओ से जुड़े ऑडिट रिपोर्ट, विदेशी लेनदेन के कागजात और टैक्स रिकॉर्ड को अदालत में पेश किया जाएगा, जिससे यह साबित किया जा सके कि बाबा ने सुनियोजित तरीके से अवैध फंडिंग को भारत में लाकर उसका दुरुपयोग किया।

राजनीतिक और सामाजिक हलकों में हड़कंप
छांगुर बाबा के मामले ने सिर्फ सुरक्षा और कानून व्यवस्था को ही नहीं, बल्कि राजनीतिक और धार्मिक क्षेत्रों को भी झकझोर दिया है। कई हिंदू संगठनों ने इस प्रकरण पर कड़ा रुख अपनाते हुए मांग की है कि देशव्यापी स्तर पर ऐसे फंडिंग नेटवर्क की जांच की जाए। वहीं विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार इस मामले को राजनीतिक लाभ के लिए तूल दे रही है।
हालांकि केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि धार्मिक स्वतंत्रता की आड़ में अवैध गतिविधियों को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
देश में विदेशी फंडिंग के दुरुपयोग पर गंभीर सवाल
छांगुर बाबा से जुड़ी ईडी की यह जांच देश में विदेशी फंडिंग के नियमन, एनजीओ ट्रांजेक्शन, धार्मिक गतिविधियों की पारदर्शिता जैसे मुद्दों को लेकर नई बहस को जन्म दे रही है। अगर जांच में ईडी के आरोप सही साबित होते हैं, तो यह भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरे की घंटी मानी जाएगी।
बाबा के खिलाफ न्यायिक प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और आगे आने वाले समय में इस केस से जुड़े कई और बड़े खुलासे संभव हैं।
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