पटना, 13 जुलाई 2025:
बिहार में निर्वाचन आयोग द्वारा चलाए जा रहे विशेष गहन मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान के दौरान एक बड़ा और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। आयोग को सूचित किया गया है कि नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार जैसे पड़ोसी देशों के अवैध नागरिक बड़ी संख्या में राज्य की मतदाता सूची में शामिल हो गए हैं। इस खुलासे के बाद निर्वाचन आयोग ने राज्य के सभी जिलों में सतर्कता बढ़ा दी है और सख्त निर्देश जारी कर दिए हैं।
BLO के सत्यापन में सामने आया खुलासा
सूत्रों के मुताबिक, यह खुलासा उस समय हुआ जब बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLOs) द्वारा घर-घर जाकर किए गए भौतिक सत्यापन और दस्तावेज जांच के दौरान कई लोगों की नागरिकता संदिग्ध पाई गई। कई व्यक्तियों के पास वैध भारतीय नागरिकता के प्रमाण नहीं थे, फिर भी उनके नाम मतदाता सूची में दर्ज थे।
यह मामला सिर्फ एक या दो क्षेत्रों तक सीमित नहीं है। खासकर सीमावर्ती जिलों जैसे किशनगंज, अररिया, पूर्णिया, कटिहार और पश्चिम चंपारण में ऐसे नामों की संख्या अपेक्षाकृत ज्यादा पाई गई है।

आयोग ने जताई चिंता, नाम हटाने का निर्देश
चुनाव आयोग के उच्चस्तरीय अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि 1 अगस्त 2025 तक की गई जांच के आधार पर संदिग्ध नागरिकों के नाम अंतिम मतदाता सूची से हटा दिए जाएंगे। अंतिम सूची 30 सितंबर 2025 को प्रकाशित की जाएगी। आयोग ने यह भी कहा है कि विदेशी नागरिकों का मतदाता सूची में शामिल होना न सिर्फ कानूनन अपराध है बल्कि चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता के लिए भी खतरा है।
मतदाता गणना फॉर्म का कार्य अंतिम चरण में
बिहार में इस समय मतदाता गणना फॉर्म (Form 6, 7, 8, 6B) भरवाने का कार्य अपने अंतिम चरण में है। आयोग का मानना है कि इस प्रक्रिया के पूरा होते ही राज्य भर में कुल कितने संदिग्ध और अवैध मतदाता सूची में शामिल थे, इसका आंकड़ा स्पष्ट हो जाएगा। आयोग इस आंकड़े को अंतिम सूची जारी करने के बाद सार्वजनिक करने की योजना बना रहा है।
कौन-कौन हैं संदिग्ध नागरिक?
BLO और स्थानीय प्रशासन के मुताबिक, संदिग्ध नागरिकों में –
- नेपाल से आने वाले मजदूर और उनके परिवार
- बांग्लादेश से आए प्रवासी जो वर्षों से सीमावर्ती क्षेत्रों में रह रहे हैं
- म्यांमार से आए कुछ रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थी
शामिल हैं, जिन्होंने स्थानीय पहचान दस्तावेज जैसे राशन कार्ड, आधार कार्ड या अन्य स्थानीय पते के जरिए खुद को भारतीय नागरिक दिखाया और मतदाता सूची में नाम दर्ज करवा लिया।

राजनीतिक सरगर्मी तेज, सत्तापक्ष और विपक्ष आमने-सामने
इस मुद्दे पर बिहार की राजनीति में भी उबाल आ गया है। सत्तारूढ़ एनडीए ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला बताते हुए आयोग से कड़ी कार्रवाई की मांग की है। वहीं विपक्षी दलों, विशेषकर राजद और कांग्रेस का आरोप है कि यह अभियान चुनाव से पहले लक्षित समुदायों को डराने और वोट से वंचित करने की रणनीति है।
भाजपा नेता संजय जायसवाल ने कहा,
“यह बेहद गंभीर मामला है। मतदाता सूची में विदेशी नागरिकों की मौजूदगी लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। यह स्पष्ट रूप से घुसपैठ और षड्यंत्र का हिस्सा है।”
राजद नेता तेजस्वी यादव ने प्रतिक्रिया दी,
“सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी भारतीय नागरिक को गलत तरीके से विदेशी घोषित न किया जाए। BLO की भूमिका की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।”
निर्वाचन आयोग की सख्त अपील: नागरिकता दस्तावेज अनिवार्य
चुनाव आयोग ने मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के लिए स्पष्ट किया है कि भारतीय नागरिकता साबित करने वाले वैध दस्तावेज अनिवार्य होंगे। इसके तहत:
- जन्म प्रमाणपत्र
- पासपोर्ट
- भारतीय विद्यालय से प्राप्त प्रमाणपत्र
- 10 साल से अधिक समय से भारत में रहन-सहन का प्रमाण
जैसे दस्तावेजों की जांच BLO द्वारा की जा रही है। जिन लोगों के पास ये दस्तावेज नहीं होंगे, उनके नाम प्रारंभिक सूची से हटाए जा सकते हैं।
पहले भी उठ चुके हैं सवाल
यह पहला मौका नहीं है जब बिहार या अन्य सीमावर्ती राज्यों में मतदाता सूची में अवैध घुसपैठियों के नाम शामिल होने की खबर आई है। इससे पहले असम में NRC प्रक्रिया के दौरान लाखों लोगों को विदेशी घोषित किया गया था, जिनमें से कुछ ने दावा किया कि वे मतदाता थे।
बिहार में NRC लागू नहीं है, लेकिन यह मामला एक बार फिर उस बहस को हवा दे रहा है कि क्या पूरे देश में नागरिकता की जांच की कोई केंद्रीकृत व्यवस्था होनी चाहिए?
प्रशासनिक कार्रवाई तेज, गृह मंत्रालय को भेजी रिपोर्ट
इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए चुनाव आयोग ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को अंतरिम रिपोर्ट भेजी है। इसमें कहा गया है कि घुसपैठियों की पहचान, उनके ट्रांजिट नेटवर्क, और स्थानीय सहयोगियों की भूमिका की जांच आवश्यक है। साथ ही, राज्यों को भी निर्देश दिए गए हैं कि वे ऐसे मामलों में FIR दर्ज कर कानूनी कार्यवाही करें।
आगे क्या कदम उठाएगा चुनाव आयोग?
- 1 अगस्त तक सभी BLO को संदिग्ध नागरिकों की अंतिम सूची सौंपनी है
- 15 अगस्त से पहले प्रारंभिक निष्कासन सूची तैयार की जाएगी
- 30 सितंबर को अंतिम मतदाता सूची जारी होगी
- अक्टूबर से इन मामलों में सुनवाई और कार्रवाई शुरू होगी
चुनाव आयोग ने यह भी संकेत दिए हैं कि आने वाले दिनों में फर्जी दस्तावेज देने वालों पर आपराधिक मामला दर्ज किया जा सकता है।
लोकतंत्र की नींव सुरक्षित रखने की चुनौती
बिहार में मतदाता सूची में विदेशी नागरिकों की घुसपैठ एक गंभीर और संवेदनशील मुद्दा बन गया है। जहां एक ओर यह लोकतंत्र की नींव को कमजोर करता है, वहीं दूसरी ओर नागरिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की बहस को भी जन्म देता है।
चुनाव आयोग के सामने दोहरी चुनौती है—एक ओर अवैध नागरिकों को बाहर निकालना, दूसरी ओर किसी निर्दोष को गलत तरीके से प्रभावित न होने देना।
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