देश के 4 राज्यों की 5 विधानसभा सीटों के नतीजे लगभग आ गए हैं। नतीजों की बात करें तो पांच में से दो सीटों पर आम आदमी पार्टी ने कब्जा कर लिया है. वहीं बीजेपी, कांग्रेस और टीएमसी को एक-एक सीट से ही संतोष करना पड़ा है।

इस उपचुनाव में आम आदमी पार्टी ने पंजाब से लेकर गुजरात तक परचम लहराया है. गुजरात विधानसभा उपचुनावों में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा हालांकि, आप ने बीजेपी पर चढ़ाई कर दी। दरअसल, आप ने गुजरात उपचुनाव में सबसे विवादास्पद सीट पर कब्जा कर लिया है। इस जीत के साथ ही आप का दिल्ली विधानसभा में मिली हार का दर्द जरुर कम हुआ होगा। कांग्रेस की बात करें तो, कड़ी में कांग्रेस कड़ी टक्कर नहीं दे पाई, तो वहीं विसावदर की सीट पर कांग्रेस की स्थिति और कमजोर हो गई। इस बार भी जमानत नहीं बची। दोनों सीटों पर कांग्रेस को करारी मात मिली है। पिछले रिकॉर्ड की बात करें तो, साल 2022 के विधानसभा चुनावों में राज्य की कुल 182 सीटों में कांग्रेस को सिर्फ 17 सीटों पर जीत मिली थी। कांग्रेस ने पिछले 30 महीने में अपने पांच विधायक खोए हैं, राज्य में इस दौरान कुल सात सीटों पर उप चुनाव हुए लेकिन कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई।

वहीं दिल्ली विधानसभा चुनाव में करारी हार और सत्ता से बाहर होने के बाद गुजरात उपचुनावों में आम आदमी पार्टी दो अहम सीटों गुजरात की विसावदर और पंजाब की लुधियाना पश्चिम सीट पर जीत हासिल कर ली है। जो पार्टी के लिए संजीवनी से कम नहीं है। जाहिर है 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में AAP को बड़ा झटका लगा था. 70 सीटों में से पार्टी केवल 22 सीटें जीत पाई थी। लेकिन गुजरात की विसावदर सीट पर AAP के लिए यह उपचुनाव बहुत खास है. 2022 में इस सीट पर पार्टी के भूपेंद्र भाई भायानी जीते थे, लेकिन इस बार AAP ने यहां से अपने चर्चित नेता गोपाल इटालिया को उतारा, जिनके प्रचार के लिए खुद केजरीवाल गुजरात पहुंचे. अब इस सीट पर आम आदमी पार्टी को जीत हासिल हुई है।

बता दें कि गुजरात की विसावदर विधानसभा सीट पर इसलिए उपचुनाव हुआ क्योंकि ‘आप’ विधायक भूपेंद्र भयानि ने दिसंबर 2023 में MLA पद और पार्टी की सदस्यता त्याग दी थी। इसके बाद वह भाजपा में शामिल हो गए थे। विसावदर विधानसभा सीट जूनागढ़ जिले के अंतगर्त एक महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है। भायानी ने 2022 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर भाजपा के हर्षद रिबादिया को 7,063 वोटों के अंतर से हराया था। उनके दल-बदल के कारण यह सीट खाली हो गई, जिसके चलते 19 जून 2025 को उपचुनाव कराया गया।

जबकि, गुजरात की कडी विधानसभा सीट पर बीजेपी के राजेंद्र कुमार धनेश्वर चावड़ा ने जीत हासिल की है। उन्हें यहां हुए उपचुनाव में 99742 वोट मिले जबकि कांग्रेस पार्टी के रमेशभाई चावड़ा को 60290 वोट हासिल हुए। बीजेपी को इस सीट पर 39,452 वोटों से जीत हासिल हुई। इस सीट पर तीसरे नंबर पर आम आदमी पार्टी रही। यहां आप के प्रत्याशी जगदीश भाई चावड़ा को महज 3090 वोट हासिल हुए। वहीं चार राज्यों की पांच विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। बीजेपी को अपने गढ़ गुजरात में दो में से एक सीट पर जीत मिली, जबकि अन्य सभी जगहों पर उसे हार का सामना करना पड़ा। पंजाब की लुधियाना वेस्ट सीट पर बीजेपी तीसरे नंबर पर रही। केरल की नीलांबुर सीट पर बीजेपी चौथे स्थान जबकि पश्चिम बंगाल की कालीगंज विधानसभा सीट पर उसे 31,154 वोटों से हार का सामना करना पड़ा।

इधर, आप के गढ़ माने जाने वाले राज्य पंजाब की लुधियाना पश्चिम सीट, जहां AAP के विधायक गुरप्रीत बस्सी गोगी के निधन के बाद उपचुनाव हुआ। वहां पार्टी ने राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा ने भाजपा के जीवन गुप्ता और कांग्रेस के भारत भूषण आशु को हरा दिया है. पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस चुनाव को “विनम्रता बनाम अहंकार” की लड़ाई बताया। पार्टी सूत्रों की मानें तो, अगर संजीव अरोड़ा लुधियाना से जीतते हैं, तो वह अपनी राज्यसभा सीट छोड़ सकते हैं और उस उपचुनाव में अरविंद केजरीवाल को संसद के उच्च सदन में भेजने की योजना है. यानी यह उपचुनाव न सिर्फ AAP के लिए राजनीतिक वापसी, बल्कि केजरीवाल के लिए नई राजनीतिक भूमिका का दरवाज़ा खोल सकता है।

2022 के चुनावों में आप को 14 फीसदी वोटों के साथ सिर्फ पांच सीटों पर जीत मिली थी। अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से पहले जब आप विधायक भूपत भायाणी ने पार्टी छोड़ी और बीजेपी में गए तो उसी वक्त पर आप ने ऐलान कर दिया था। पार्टी ने कहा था कि विसावदर की जनता से गद्दारी करने वालों बदला लिया जाएगा। आप ने विसावदर सीट पर कब्जा बरकरार रखने के लिए प्रदेश में सबसे ज्यादा लोकप्रिय और बड़े नेता को मैदान में उतार दिया। आप की तरह कांग्रेस के पांच विधायक भी बीजेपी में गए थे, लेकिन कांग्रेस एक भी सीट पर बदला नहीं ले पाई। पांचों विधायक कमल के सिबंल पर जीत गए। इनमें अर्जुन मोढवाड़िया भी शामिल हैं। आप ने विसावदर सीट जीतकर संदेश दिया कि पार्टी गुजरात को लेकर गंभीर है।

इसी साल फरवरी में जब राज्य में 68 नगर पालिकाओं के चुनाव हुए थे, तो उनमें कांग्रेस को बड़ा झटका लगा था। बीजेपी ने बड़ी जीत दर्ज की थी। कांग्रेस ने हालत इन चुनावों में पतली हो गई थी। इसके बाद राहुल गांधी ने 2027 के चुनावों में बीजेपी को हराने के लिए ‘नूतन गुजरात-नूतन कांग्रेस’ के साथ राज्य में संगठन को मजबूत बनाने की प्रक्रिया शुरू की थी। इसके तहत ने संगठन सृजन अभियान और अहमदाबाद में अधिवेशन किया था। लंबी कवायद के बाद पार्टी ने दो दिन पहले पार्टी ने 21 जून को राज्य के 40 जिला/शहर अध्यक्ष घोषित किए हैं, लेकिन उप चुनावों में मिले झटके ने पार्टी को सोचने मजबूर कर दिया है कि कैसे 2027 में बीजेपी से लड़ पाएगी, क्योंकि आप ने अभी तक उसी के वोट बैंक में सेंध लगाई है। चार राज्यों की पांच विधानसभा सीटों में कांग्रेस ने केरल में जरूर नीलांबुर सीट पर जीत दर्ज की है। 2021 में वहां निर्दलीय विजयी हुए थे।

जबकि, पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में कालीगंज विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में एक टीएमसी ने जीत दर्ज कर ली है.टीएमसी उम्मीदवार अलीफा अहमद ने बीजेपी उम्मीदवार आशीष घोष को 48,673 मतों से ज्यादा के अंतर से हरा दिया है। इस जीत पर ममता बनर्जी ने कालीगंज के लोगों को धन्यवाद दिया। बनर्जी ने कहा ‘‘कालीगंज विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में क्षेत्र के सभी धर्मों, जातियों, नस्लों और जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग करके हमें अपार आशीर्वाद दिया है. मैं उनके प्रति विनम्रतापूर्वक आभार व्यक्त करती हूं. इस जीत को रचने वाले ‘मां, माटी और मानुष’ हैं. कालीगंज के मेरे साथियों ने इसके लिए अथक परिश्रम किया है. मैं उन्हें भी अपनी हार्दिक बधाई देती हूं. सभी को मेरा अभिवादन और अभिनंदन.’’

वहीं केरल के नीलांबुर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (UDF) ने कड़े मुकाबले में वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (LDF) उम्मीदवार को हराया। कांग्रेस के आर्यदान शौकत ने नीलांबुर निर्वाचन क्षेत्र में माकपा के प्रदेश सचिवालय सदस्य एम स्वराज को एक बड़े अंतर से हराया। नीलांबुर विधानसभा क्षेत्र में 19 जून को हुए उपचुनाव में डाले गये कुल 1,75,989 वोट में से दिवंगत कांग्रेसी नेता आर्यदान मोहम्मद के बेटे शौकत को 77,737 वोट मिले हैं, जबकि स्वराज को 66,660 वोट मिले।
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