Edited by: Vandana Ravindra.
समाजवादी पार्टी औऱ बीजेपी के यूपी डिप्टी सीएम के बीच DNA को लेकर जबरदस्त वार -पलटवार का दौर शुरु हो गया है। सपा और बीजेपी नेता और यूपी डिप्टी सीएम एक दूसरे को ट्वीट के जरिए जवाब दे रहे हैं। दरअसल, समाजवादी पार्टी के ऑफिशियल आईटी अकाउंट से डिप्टी सीएम बृजेश पाठक को लेकर अभद्र पोस्ट की गयी थी। पोस्ट में यूपी के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक के लिए आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया गया था।

ब्रजेश पाठक ने तीखी प्रतिक्रिया दी
जिसको लेकर अब यूपी डिप्टी सीएम ने करारा पलटवार किया है। समाजवादी पार्टी के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से डाले गए विवादित और निजी टिप्पणी वाले ट्वीट को लेकर उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। ब्रजेश पाठक ने कहा कि, “अखिलेश यादव जी, ये आपकी पार्टी की भाषा है? क्या आप दिवंगत माता-पिता पर की गई इस पतित टिप्पणी को स्वीकार करते हैं? क्या आदरणीया डिंपल जी इस स्त्री विरोधी सोच पर चुप रहेंगी?” ब्रजेश पाठक ने कहा कि लोकतंत्र में आरोप-प्रत्यारोप चलते हैं, पर निजी और चरित्र हनन की भाषा SP का असली चेहरा है। उन्होंने ट्वीट में ये भी पूछा कि क्या “डिंपल यादव जैसी महिला सांसद इस गंदी मानसिकता की पार्टी के पक्ष में खड़ी रहेंगी?”

बृजेश पाठक के ट्वीट पर फिर समाजवादी पार्टी ने जवाब दिया
इसके बाद बृजेश पाठक के ट्वीट पर फिर समाजवादी पार्टी ने जवाब दिया…समाजवादी मीडिया सेल ने लिखा कि, ब्रजेश पाठक जी @brajeshpathakup आप स्वास्थ्य मंत्री हैं, क्या आप DNA लैंग्वेज को समझते हैं? बस इतना ही आपको समझाने और समझने के लिए आपको आपकी भाषा में जवाब दिया गया था। हम तो ट्वीट डिलीट कर दे रहे हैं लेकिन आप आइंदा से ये DNA लैंग्वेज का इस्तेमाल करने से पहले सोचिएगा कि जब आप किसी कांच के ऊपर पत्थर मारते हैं तो पलटकर टुकड़े अपनी ओर भी आते हैं। दलीय मतभिन्नता अलग हो सकती है लेकिन जो DNA वाली भाषा आप अक्सर ज्यादातर इस्तेमाल करते हैं वो भी कतई अस्वीकार्य है, आइंदा आप भी अपनी भाषा चयन में सावधानी रखिएगा और आरोप प्रत्यारोप कीजिए परन्तु ये बेलो द बेल्ट लैंग्वेज का इस्तेमाल आइंदा मत कीजियेगा। शुभेच्छाओं समेत!
सपा के जवाब के बाद एक बार फिर बृजेश पाठक ने जवाब दिया
लेकिन ये मामला इतने पर भी नही थमा, सपा के जवाब के बाद एक बार फिर बृजेश पाठक ने जवाब दिया है। यूपी डिप्टी सीएम ने लिखा… सपा मीडिया सेल के साथी आलोचना करने के दौरान जिन शब्दों का प्रयोग करते हैं, उसे पढ़ कर लगता ही नहीं कि यह पार्टी राममनोहर लोहिया और जनेश्वर मिश्र की पार्टी रह गई है। जार्ज साहब की बात तथाकथित “समाजवादी ” भूल गए कि शिविर लगाया करो, पढ़ा – लिखा करो । अखिलेशजी ! सपाइयों को लोहिया- जेपी पढ़ाइए और पंडित जनेश्वर जी के भाषण सुनवाइए , ताकि इनके आचरण और उच्चारण में समाजवाद झलके। लोहिया की किताबें आप पर न हो तो मैं उपलब्ध करवा सकता हूं ……… हे महान लोहिया, जनेश्वरजी ! इन नादानों को क्षमा करें, इन्हें कुछ पढ़ाया – लिखाया , सिखाया व समझाया नहीं गया । ये नहीं जानते कि समाजवाद क्या है ? इन्होंने समाजवाद को गाली गलौज, उदंडई और स्तरहीन टिप्पणियों की प्रयोगशाला बना दिया है। जब विपक्ष में रहते हुए इनका ये रूप है तो सत्ता में होते हुए इन्होंने क्या किया होगा, सहज अंदाज़ा लगाया जा सकता है। हैरानी ये भी कि उदंडता, अश्लीलता और अराजकता की संस्कृति के ये शिशुपाल अपने बचाव में योगेश्वर कृष्ण का नाम लेने का दुस्साहस भी कर लेते हैं। हे योगेश्वर कृष्ण, इन शिशुपालों का ऐसे ही उपचार करते रहना जैसे यूपी की जनता पिछले दस सालों से करती आ रही है। यही इनकी नियति होगी।
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