सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में 25 हजार शिक्षकों और गैर शिक्षक कर्मचारियों की भर्ती को लेकर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। SC ने उच्च न्यायालय कलकत्ता के फैसले में दखल देने से इनकार करते हुए इसे रद्द करने के हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। हालंकि, विकलांग कर्मचारियों को छूट प्रदान की गई तथा कहा गया कि वे नौकरी में बने रहेंगे।
कर्मचारियों की नियुक्तियां रद्द
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि, जिन कर्मचारियों की नियुक्तियां रद्द कर दी गई हैं, उन्हें अपना वेतन और अन्य भत्ते लौटाने की जरूरत नहीं है। साथ ही राज्य सरकार को आदेश दिया कि, नए सिरे से चयन प्रक्रिया शुरू की जाए और इसे तीन महीने में पूरा किया जाए। क्योंकि, कलकत्ता हाईकोर्ट ने 2016 में एसएससी द्वारा राज्य द्वारा संचालित और राज्य द्वारा सहायता प्राप्त स्कूलों के लिए 25,000 से अधिक शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती को रद्द कर दिया था।
हाईकोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने का कोई वैध आधार या कारण नहीं
वहीं जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि, हमें हाईकोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने का कोई वैध आधार या कारण नहीं मिला। इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में 25,753 शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति को अमान्य करार देते हुए चयन प्रक्रिया को दूषित और दागी बताया है। पीठ ने सीबीआई जांच के उच्च न्यायालय के निर्देश को चुनौती देने वाली पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका पर सुनवाई 4 अप्रैल के लिए तय की। शीर्ष अदालत ने 10 फरवरी को इस मामले में दायर याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
Leave a comment