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एक साथ दो बीमारियों का हमला, डेंगू और टाइफाइड से कराह रहा लखनऊ

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डेंगू का बढ़ता खतरा
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लखनऊ मे बढ़ रहा है डेंगू और टाइफॉइड का खतरा। लखनऊ के 3 बड़े सरकारी अस्पताल मे रोजाना 60 से ज्यादा लोगों की डेंगू और टाइफॉइड की जाच रिपोर्ट पाज़िटिव आ रही है । यहा रोजाना औसतन 3 हजार से ज्यादा मरीज OPD मे इलाज के लिए आ रहे है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति बेहद चिंताजनक है।KGMU के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. अरविंद मिश्रा ने बताया,डेंगू और टाइफाइड दोनों संक्रमण एक साथ होने पर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर गहरा असर डालते हैं। मरीजों को समय पर इलाज और पर्याप्त विश्राम की जरूरत है।

लक्षण और पहचान

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इन दोनों बीमारियों के शुरुआती लक्षण काफी हद तक एक जैसे होते हैं ।

  • लगातार बुखार
  • सिरदर्द और शरीर में दर्द
  • कमजोरी और भूख न लगना
  • प्लेटलेट्स की तेजी से गिरावट

डॉक्टरों ने बताया है कि बुखार को हल्के में न लें और स्वयं दवा लेने से बचें

अस्पतालों में बढ़ा दबाव, विभाग हुआ अलर्ट

तीनों सरकारी अस्पतालों में मरीजों की भीड़ लगातार बढ़ रही है।अस्पताल प्रशासन ने फीवर ओपीडी की संख्या बढ़ाई है और जांच केंद्रों को 24 घंटे चालू रखने के निर्देश दिए गए हैं।स्वास्थ्य विभाग ने भी पूरे शहर में फॉगिंग और सफाई अभियान तेज कर दिया है।लखनऊ के सरकारी अस्पतालों में इन दिनों मरीजों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है। डेंगू और टाइफाइड के मामलों में अचानक बढ़ोतरी से तीनों प्रमुख अस्पताल, KGMU, सिविल अस्पताल और बलरामपुर अस्पताल, पर दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। रोजाना सैकड़ों मरीज बुखार, कमजोरी और शरीर दर्द की शिकायत लेकर ओपीडी में पहुंच रहे हैं, जिनमें से दर्जनों की रिपोर्ट डेंगू और टाइफाइड दोनों पॉजिटिव आ रही है।अस्पताल प्रशासन ने फीवर ओपीडी की संख्या बढ़ा दी है और मरीजों की सुविधा के लिए अतिरिक्त जांच काउंटर भी लगाए गए हैं। डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ को लगातार ड्यूटी पर तैनात किया गया है ताकि मरीजों को तत्काल इलाज मिल सके।स्वास्थ्य विभाग ने इस स्थिति को देखते हुए पूरे शहर में अलर्ट जारी कर दिया है। विभाग ने नगर निगम के सहयोग से फॉगिंग, एंटी-लार्वा स्प्रे, और सफाई अभियान को तेज करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही सभी सरकारी अस्पतालों को 24 घंटे जांच सुविधा उपलब्ध कराने का आदेश दिया गया है।अधिकारियों का कहना है कि दोहरे संक्रमण (डेंगू + टाइफाइड) की वजह से स्थिति गंभीर है, लेकिन सरकार और स्वास्थ्य विभाग ने इसे नियंत्रित करने के लिए पूरी तैयारी कर ली है। लोगों से अपील की गई है कि वे पानी जमा न होने दें, मच्छरदानी का उपयोग करें और बुखार की स्थिति में तुरंत जांच करवाएं।

विशेषज्ञों की राय, यह सिर्फ मौसमी बीमारी नहीं

डॉक्टरों और हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह स्थिति सामान्य नहीं है।यह डबल इंफेक्शन मरीजों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। इसलिए शुरुआती लक्षण दिखते ही जांच और इलाज में देरी न करें सिविल अस्पताल की सीनियर फिजीशियन डॉ. पूजा सिंह बताती हैं कि पिछले कुछ हफ्तों में ऐसे कई मरीज आए हैं जिनमें दोनों संक्रमण एक साथ पाए गए।समस्या यह है कि लोग बुखार को साधारण समझकर घरेलू इलाज करने लगते हैं। जब तक अस्पताल पहुंचते हैं, तब तक प्लेटलेट्स काफी गिर चुकी होती हैं और शरीर डिहाइड्रेशन की स्थिति में आ जाता है।विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि इस बार डेंगू और टाइफाइड के मामलों का पैटर्नपहले से अलग है। डेंगू का वायरस लगातार म्यूटेशन कर रहा है, जिससे संक्रमण का असर ज्यादा गंभीर हो गया है। वहीं, टाइफाइड का संक्रमण गंदे और संक्रमित पानी के जरिए तेजी से फैल रहा है।डॉक्टरों ने लोगों से अपील की है कि इस समय खान-पान और साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दें, खुले में रखे पानी का सेवन न करें, और मच्छरों से बचाव के उपाय करें।यह सिर्फ एक मौसमी बीमारी नहीं रह गई है, बल्कि यह एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट का संकेत है,विशेषज्ञों का यह स्पष्ट कहना है।लोगों को जागरूक रहकर ही इस दोहरे खतरे से खुद और अपने परिवार को सुरक्षित रखना होगा।

मरीजों की हालत गंभीर, डेंगू से पीड़ित मरीजों की बढ़ती संख्या ने बढ़ाई चिंता

लखनऊ के सरकारी अस्पतालों में इन दिनों डेंगू पीड़ित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। पिछले कुछ हफ्तों में हालत इतनी गंभीर हो चुकी है कि वार्ड से लेकर कॉरिडोर तक बेड फुल नजर आ रहे हैं। कई मरीजों को फर्श पर या स्ट्रेचर पर इलाज देना पड़ रहा है।डॉक्टरों के मुताबिक, डेंगू के मरीजों में इस बार लक्षण ज्यादा तेज और खतरनाक दिखाई दे रहे हैं।
अधिकांश मरीजों में प्लेटलेट्स की संख्या तेजी से गिर रही है, जिससे उन्हें चक्कर आना, नाक से खून आना, उल्टी, और शरीर पर लाल चकत्ते जैसी शिकायतें हो रही हैं।बलरामपुर अस्पताल के मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. आर.एन. वर्मा ने बताया इस बार डेंगू के मरीजों में वायरल लोड ज्यादा है। कई मरीज ऐसे हैं जिन्हें डेंगू के साथ टाइफाइड भी हो गया है। ऐसे मरीजों की रिकवरी स्लो होती है और उन्हें लगातार मॉनिटरिंग में रखना पड़ता है।अस्पतालों में अब डेंगू वार्ड बढ़ाने की तैयारी की जा रही है। KGMU और सिविल अस्पताल ने मिलकर अतिरिक्त 100 बेड का इंतजाम किया है। इसके अलावा, प्लेटलेट्स यूनिट्स में 24 घंटे स्टाफ तैनात किया गया है ताकि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत ट्रांसफ्यूजन किया जा सके।डेंगू पीड़ित मरीजों की कहानियाँ भी दिल को झकझोरने वाली हैं।गोमतीनगर की 23 वर्षीय छात्रा श्रुति वर्मा को 104 डिग्री बुखार और प्लेटलेट्स में अचानक गिरावट के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों के अनुसार,श्रुति में डेंगू के साथ टाइफाइड भी पॉजिटिव पाया गया, जिसके कारण उसकी स्थिति दो दिन तक नाजुक रही।कई ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जहाँ मरीजों को 7 से 10 दिन तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ रहा है, जबकि कुछ गंभीर मामलों में ICU की भी जरूरत पड़ी है।विशेषज्ञों की चेतावनी डॉक्टरों का कहना है कि अगर समय पर जांच और इलाज नहीं हुआ तो यह संक्रमण जानलेवा साबित हो सकता है। लोगों से अपील की गई है कि वे बुखार को हल्के में न लें, शरीर पर चकत्ते या ब्लीडिंग जैसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, और मच्छर काटने से बचाव के सभी उपाय अपनाएं।

लखनऊ में डेंगू से तीन मौतें, 11 साल के बच्चे की मौत पर परिजनों ने लगाया लापरवाही का आरोप

लखनऊ। राजधानी लखनऊ में डेंगू का प्रकोप अब खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुका है। लगातार बढ़ रहे संक्रमण के बीच शहर में डेंगू से तीन लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जिनमें एक 11 वर्षीय बच्चा, सरोजनीनगर की एक बुजुर्ग महिला और एक 18 वर्षीय छात्र शामिल हैं। बढ़ते मामलों ने न सिर्फ प्रशासन बल्कि स्वास्थ्य विभाग की चिंता भी बढ़ा दी है।


11 साल के बच्चे की मौत, अस्पताल पर लापरवाही का आरोप

अक्टूबर 2025 के आखिरी सप्ताह में लखनऊ के एक निजी अस्पताल में 11 साल के मासूम की डेंगू से मौत हो गई।
परिजनों का आरोप है कि बच्चे को भर्ती करने के बाद डॉक्टरों ने उसकी हालत को गंभीरता से नहीं लिया और इलाज में देरी की।
परिवार का कहना है कि बच्चे के प्लेटलेट्स तेजी से गिर रहे थे, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने समय पर प्लेटलेट्स ट्रांसफ्यूजन नहीं किया, जिससे उसकी हालत बिगड़ती चली गई।

गुस्साए परिजनों ने अस्पताल के बाहर हंगामा किया और लापरवाही के आरोपों पर पुलिस को शिकायत दी
इसके बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू की और शव का पोस्टमार्टम कराया गया।
स्वास्थ्य विभाग ने भी इस घटना को गंभीरता से लेते हुए संबंधित अस्पताल से रिपोर्ट मांगी है।


सरोजनीनगर में बुजुर्ग महिला की मौत

अक्टूबर 2025 के मध्य में सरोजनीनगर क्षेत्र में रहने वाली 65 वर्षीय बुजुर्ग महिला की डेंगू से मौत हो गई थी।
महिला एक सप्ताह से तेज बुखार से पीड़ित थीं और घर पर इलाज चल रहा था। जब हालत बिगड़ी तो परिवार ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया, जहां रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उनकी स्थिति और नाजुक हो गई।
इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
स्थानीय लोगों का कहना है कि क्षेत्र में लंबे समय से जलभराव और मच्छरों की भरमार है, लेकिन नगर निगम की ओर से फॉगिंग या सफाई के उचित इंतज़ाम नहीं किए गए।


18 वर्षीय छात्र की मौत, परिवार में मातम

हाल ही में एक और मामला सामने आया है जिसमें 18 वर्षीय छात्र की डेंगू से मौत हो गई।छात्र को तेज बुखार और प्लेटलेट्स में गिरावट के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
डॉक्टरों ने बताया कि मरीज का वायरल लोड बहुत अधिक था और समय पर पहुंचने के बावजूद शरीर संक्रमण को सहन नहीं कर सका।
इस घटना ने युवाओं और अभिभावकों में दहशत फैला दी है।


स्वास्थ्य विभाग की प्रतिक्रिया

इन लगातार हो रही मौतों के बाद स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड में आ गया है।अधिकारियों ने सभी अस्पतालों को डेंगू और टाइफाइड के मामलों की रोजाना रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए हैं।साथ ही, जिन अस्पतालों पर लापरवाही के आरोप लगे हैं, उनकी जांच के आदेश दे दिए गए हैं।

मुख्य चिकित्साधिकारी (CMO) लखनऊ का कहना है,डेंगू के मामलों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। जिन इलाकों से ज्यादा केस मिल रहे हैं, वहां फॉगिंग और एंटी-लार्वा स्प्रे का काम तेज किया गया है। अगर किसी अस्पताल की गलती पाई जाती है तो सख्त कार्रवाई होगी।


विशेषज्ञों की चेतावनी: अब सामान्य डेंगू नहीं रहा खतरा

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार डेंगू का वायरस ज्यादा आक्रामक रूप में फैल रहा है। KGMU के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. अरविंद मिश्रा के अनुसार,डेंगू और टाइफाइड का डबल इंफेक्शन मरीजों को बेहद जटिल बना रहा है। कई मामलों में प्लेटलेट्स इतनी तेजी से गिरते हैं कि मरीज को तुरंत ट्रांसफ्यूजन की जरूरत पड़ती है।विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह केवल मौसमी बुखार नहीं, बल्कि एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बनता जा रहा है।


अस्पतालों में बढ़ता दबाव

KGMU, सिविल अस्पताल और बलरामपुर अस्पताल में डेंगू वार्डों में बेड फुल होने की स्थिति बन चुकी है।अस्पताल प्रशासन ने फीवर ओपीडी की संख्या बढ़ा दी है और अतिरिक्त डॉक्टरों को ड्यूटी पर लगाया गया है।हर दिन सैकड़ों लोग बुखार की जांच के लिए पहुंच रहे हैं, जिनमें बड़ी संख्या में डेंगू और टाइफाइड के डबल इंफेक्शन वाले मरीज मिल रहे हैं।


सावधानी ही बचाव

डॉक्टरों ने लोगों से अपील की है कि बुखार को हल्के में न लें और स्वयं दवा लेने से बचें।घर और आसपास पानी जमा न होने दें, मच्छरों से बचाव करें, और शरीर में कमजोरी या चकत्ते दिखते ही जांच कराएं।प्रशासन ने दावा किया है कि फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन सतर्कता बेहद जरूरी है।

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