Edited by: Vandana Ravindra.
वक्फ संशोधन बिल यानि Waqf Bill अब कानून बन गया है। लोकसभा और राज्यसभा से पास होने के बाद वक्फ संशोधन बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है।
कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल
राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद वक्फ संशोधन बिल कानून भले ही बन गया हो, लेकिन इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल कर दी गयी हैं। दरअसल, वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ सबसे पहली याचिका एक कांग्रेस सांसद की तरफ से लगाई गई। इसके बाद असदुद्दीन ओवैसी भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। इसके बाद आम आदमी पार्टी ने भी सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दाखिल की है। लेकिन अब वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चौथी याचिका एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन इन द मैटर्स ऑफ सिविल राइट्स ने दाखिल की है।
कानून का विरोध करने वाले विपक्षी दलों का दावा
वक्फ संशोधन कानून का विरोध करने वाले विपक्षी दलों का दावा है कि, वक्फ संपत्तियों को नियंत्रित करने वाले 1995 के कानून में संशोधन करने वाला प्रस्तावित विधेयक भेदभावपूर्ण है और मुसलमानों को टारगेट करने के लिए लाया गया है। हालांकि सरकार का कहना है कि यह कानून मुस्लिम महिलाओं को लाभ पहुंचाएगा और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा।
बिल अब कानून बनकर पूरे देश में लागू हो जाएगा
बताते चलें कि, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हस्ताक्षर के साथ ही वक्फ बिल अब कानून बनकर पूरे देश में लागू हो जाएगा। दरअसल, वक्फ संशोधन बिल को पहले लोकसभा में पेश किया गया जहां उसके समर्थन में 288 और विरोध में 232 वोट पड़े, इसके बाद 3 अप्रैल को वक्फ बिल को राज्यसभा में पेश किया गया। लंबे बहस के बाद राज्यसभा में वक्फ संशोधन बिल 2025 के समर्थन में 128 वोट पड़े, जबकि इसके विरोध में 95 वोट पड़े।