साल 2014 में नरेंद्र मोदी ने पीएम पद की शपथ ली। पीएम मोदी की सरकार बनने के बाद देश में…देश की छवि में कई अहम बदलाव हुए। आइये जानते हैं मोदी सरकार के 11 सालों में भारत कितना बदला और पीएम ने क्या किया और क्या नहीं किया इसके अलावा कितने वादों को अधूरा छोड़ दिया…

आज ही के दिन 2014 में नरेन्द्र दामोदरदास मोदी ने प्रधानमंत्री के पद की शपथ ली थी। एक दशक और एक साल के कालखंड में राजनीति, अर्थव्यवस्था और वैश्विक मंच पर बड़े बदलाव देखे गए। इसमें सबसे पहला काम है मंदिरों के पुनर्विकास का। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश में मंदिरों के गलियारों और तीर्थ स्थलों का अभूतपूर्व पुनर्विकास हुआ है. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, महाकाल लोक उज्जैन, मां कामाख्या मंदिर, राम मंदिर अयोध्या, केदारनाथ धाम और जूना सोमनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार, सरकार ने चारधाम राजमार्ग परियोजना, हेमकुंड साहिब रोपवे और बौद्ध सर्किट विकास जैसी योजनाएं शुरू की जिससे भारत की आध्यात्मिक आत्मा को एक नई ऊर्जा मिली है। इसके अलावा करतारपुर कॉरिडोर ने भारत-पाक सीमा पर स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब को भारतीय सिखों के लिए आसान बना दिया। भारत की समावेशी सांस्कृतिक पहचान को ध्यान में रखते हुए प्रसाद योजना के तहत मस्जिदों, चर्चों और अन्य धर्मों के पूजा स्थलों का भी पुनर्विकास किया। मोदी सरकार ने पर्यटन एवं विरासत शहरों के विकास में भरपूर निवेश किया गया। इसका परिणाम यह है कि, साल 2024 में भारत में 9.66 मिलियन विदेशी पर्यटक आए और देश ने 2,77,842 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा भारत में आईं।

पीएम मोदी की सरकार में ही खोई धरोहर वापस लाया गया। साल 2013 से पहले, विदेश से भारत को केवल 13 चोरी की गई प्राचीन वस्तुएं वापस की गई थी। लेकिन 2014 के बाद से अब तक 642 प्राचीन वस्तुएं विभिन्न चरणों में भारत लौटाई गईं हैं, जिनमें से अकेले अमेरिका से 578 कलाकृतियां लौटी हैं। यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। इसके अलावा मोदी सरकार में राष्ट्र-निर्माताओं को भी सम्मानित करने का काम किया गया। भारत के राष्ट्र-निर्माताओं को उचित सम्मान देने के लिए प्रधानमंत्री संग्रहालय, राष्ट्रीय युद्ध स्मारक, राष्ट्रीय पुलिस स्मारक, जलियांवाला बाग स्मारक और 11 आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय के अलावा भारत मंडपम और नया संसद भवन भारत की सांस्कृतिक विरासत और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रतीक बनकर उभरे हैं। इसके अलावा मोदी सरकार ने संस्कृति का फैलाव पर भी ध्यान दिया। ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ अभियान और काशी तमिल संगमम जैसे आयोजनों ने भारत की भाषाई और सांस्कृतिक विविधता के बीच पुल बाधा। यूपी के प्रयागराज में महाकुंभ 2025 का आयोजन, जिसमें एक माह में 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालु शामिल हुए। साथ ही मोदी सरकार ने विश्व को योग का महत्व बताया। भारत ने योग को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई है. अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस ने दुनिया भर में स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन के प्रति जागरूकता बढ़ाई है। 2024 में उत्तर प्रदेश में 25.93 लाख लोगों ने योग की ऑनलाइन शपथ ली और कई विश्व रिकॉर्ड बनाए गए।

मोदी सरकार ने आयुर्वेद को वैश्विक मान्यता दिलाने में भी एड़ी चोटी का जोर लगा डाला। आयुर्वेद को भी वैश्विक मान्यता दिलाने के प्रयासों के तहत आयुष मंत्रालय ने 24 देशों के साथ समझौते किए हैं और 35 देशों में आयुष सूचना केंद्र स्थापित किए हैं. जामनगर में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल ट्रेडिशनल मेडिसिन सेंटर की स्थापना और “हील इन इंडिया” व “आयुष वीज़ा” जैसी पहलों ने भारत को समग्र चिकित्सा के वैश्विक केंद्र के रूप में उभारा है। मोदी सरकार ने पर्यटन को तो बढ़ाव दिया ही है साथ ही विश्व धरोहर स्थलों में बढ़ोतरी की है। भारत की यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों की लिस्ट में कई नाम और जुड़े हैं। जुलाई 2024 में असम के मोइदम्स को इस सूची में शामिल किया गया, जिससे अब भारत के पास 43 यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं।

मोदी सरकार में केन्द्रीय मंत्री नितिन गड़करी ने सड़क निर्माण और राजमार्ग विकास पर विशेष ध्यान दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत गांवों में सड़क निर्माण कराए। भारतीय रेलवे का आधुनिकीकरण और नवीनीकरण किया गया। वंदे भारत एक्सप्रेस जैसी आधुनिक ट्रेनों की शुरुआत हुई। कई नए एयरपोर्ट का विकास किया गया है । इसके अलावा प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत 12 करोड़ से अधिक किसानों को प्रति वर्ष 6,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जा रही है। सॉइल हेल्थ कार्ड योजना के तहत किसानों को मिट्टी की गुणवत्ता की जानकारी दी जाती है। आयुष्मान भारत योजना के तहत 50 करोड़ से अधिक लोगों को 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज देने वाली स्वास्थ्य बीमा योजना शुरू की गई। इसी तरह मोदी सरकार की फ्री राशन योजना चलाती है, जिसे प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) के नाम से जाना जाता है।

इन सब के अलावा पीएम मोदी ने अपनी सरकार में आत्मनिर्भर भारत पर भी जोर दिया। सरकार ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विदेशी हथियारों पर निर्भरता कम करना और स्वदेशी क्षमताओं का विकास करने के साथ ही कई सुधार और नीतियां शुरू की। मोदी सरकार में ही सेना को उन्नत हथियार और उपकरण दिए जा रहे हैं। जैसे कि K9 वज्र-T स्व-चालित हॉवित्जर, M777 अल्ट्रा-लाइट हॉवित्जर और AK-203 असॉल्ट राइफलें, आईएनएस विक्रांत जैसे स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत और आईएनएस नीलगिरि जैसे स्टील्थ फ्रिगेट, राफेल लड़ाकू विमानों और लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस को शामिल किया गया है। साथ ही मोदी सरकार ने साइबर और अंतरिक्ष युद्ध के क्षेत्र में भी प्रगति की है, जिसमें रक्षा साइबर एजेंसी और रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी की स्थापना शामिल है।

उपलब्धियों की बात करें तो, इसरो ने एक ही रॉकेट में 104 उपग्रहों का प्रक्षेपण कर एक विश्व रिकॉर्ड बनाया, साल 2019 में भारत ने अपना दूसरा चंद्र मिशन चंद्रयान-2 लॉन्च किया, जिसमें एक ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर शामिल थे। साथ ही भारत सरकार ने गगनयान मिशन को मंजूरी दी है, जिसका उद्देश्य 2025 तक भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजना है। वहीं अब भारत का लक्ष्य 2050 तक अपना खुद का स्पेस स्टेशन विकसित करने का है। भारत ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया है, जिससे देश की आत्मनिर्भरता बढ़ रही है।

पीएम मोदी ने साल 2014 के बाद से कई अहम और मजबूत फैसले लिए। पीएम मोदी ने मन की बात भी की। लेकिन आज मोदी सरकार के 11 साल बीत गए हैं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने एक भी प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की। लोगों को ‘मन की बात’ सुनाने वाले प्रधानमंत्री 11 साल तक ‘जन की बात’ और उनके सवालों से भागते रहे। आलोचकों की मानें तो पीएम मोदी बेरोजगारी, महंगाई, गरीबी, महिला सुरक्षा, गिरता रुपया, अर्थव्यवस्था, आर्थिक असमानता, मणिपुर और पुलवामा से लेकर पहलगाम जैसे तमाम मुद्दों पर सवाल न पूछ लें। अलोचकों का कहना है कि, नरेंद्र मोदी लोकतंत्र की धज्जियां उड़ा रहे हैं…ना जवाब दे रहे हैं, ना जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
Leave a comment