शरद पवार का पार्टी के विभाजन को लेकर दर्द छलका। पवार ने चुनौतियों के बावजूद पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं की सराहना की। उन्होंने कहा, ‘‘पार्टी को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन आप बिना हतोत्साहित हुए पार्टी को आगे ले जाते रहे. पार्टी में विभाजन हुआ।

शरद पवार ने कहा, हमने कभी नहीं सोचा था कि, पार्टी बंट जाएगी लेकिन ऐसा हुआ.’’ पवार ने कहा, ‘‘ कुछ लोग दूसरी विचारधाराओं के साथ हो लिए और यह विभाजन बढ़ गया. मैं आज इसके बारे में बात नहीं करना चाहता लेकिन जो लोग पार्टी के प्रति वफादार रहे, वे हमारी पार्टी की विचारधारा के कारण रहे.” उन्होंने कहा कि आने वाले चुनावों में एक अलग तस्वीर सामने आएगी।

जाहिर है शरद पवार की बनाई हुई पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के टूटने के कई कारण हैं, जो राजनीतिक, पारिवारिक और वैचारिक स्तर पर देखे जा सकते हैं। जिसमें पारिवारिक उत्तराधिकार की लड़ाई, राजनीतिक महत्वाकांक्षा, शरद पवार की नेतृत्व शैली, महाराष्ट्र की बदलती राजनीतिक परिस्थितियाँ और ईडी और केंद्रीय जांच एजेंसियों का दबाव को भी मुख्य कारण माना जा रहा है।

दरअसल, शरद की पार्टी में पारिवारिक उत्तराधिकार की लड़ाई, शरद पवार के भतीजे अजित पवार और उनकी बेटी सुप्रिया सुले के बीच नेतृत्व को लेकर सालों से तनाव चल रहा था। शरद पवार ने जब सुप्रिया सुले को पार्टी में बड़ी भूमिका यानि कार्यकारी अध्यक्ष की दी, तब अजित पवार को लगा था कि, उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है। इससे ही असंतोष और विभाजन की नींव पड़ी थी। इसके साथ राजनीतिक महत्वाकांक्षा भी एक बड़ी वजह मानी गयी थी। क्योंकि, अजित पवार लंबे समय से खुद को पार्टी के भावी नेता और मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में देख रहे थे। लेकिन जब उन्हें लगा कि, उनके पास स्पष्ट नेतृत्व नहीं आएगा, तो उन्होंने अलग राह पकड़ ली और 2023 में शिवसेना-भाजपा गठबंधन सरकार में शामिल हो गए।

इसके अलावा शरद पवार की नेतृत्व शैली को भी बड़ी वजह माना जा सकता है। क्योंकि, लंबे समय तक शरद पवार पार्टी के सर्वेसर्वा बने रहे, लेकिन समय के साथ कुछ वरिष्ठ नेताओं को यह महसूस होने लगा कि, संगठनात्मक संरचना में पारदर्शिता और स्पष्टता की कमी है। उनके फैसलों में परिवारवाद का प्रभाव दिखने लगा, जिससे पार्टी के अंदरूनी असंतोष बढ़ा। साथ ही महाराष्ट्र की बदलती राजनीतिक परिस्थितियां जैसे शिवसेना में विभाजन यानि उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच और भाजपा की आक्रामक राजनीति ने महाराष्ट्र की पारंपरिक राजनीति को अस्थिर किया। इस माहौल में अजित पवार को लगा कि भाजपा के साथ जाकर सत्ता में बने रहना और राजनीतिक भविष्य सुरक्षित करना बेहतर विकल्प है।

लेकिन शरद पवार की पार्टी के टूटने का अहम कारण ईडी और केंद्रीय जांच एजेंसियों का दबाव को माना जाता है। ऐसे आरोप भी लगे कि अजित पवार और उनके समर्थकों पर ईडी जैसी एजेंसियों का दबाव था, जिससे वे भाजपा के करीब गए। हालांकि इस पर सार्वजनिक रूप से कोई ठोस प्रमाण नहीं आया, लेकिन यह चर्चा का विषय जरुर बना। NCP का टूटना सत्ता की राजनीति, परिवार में नेतृत्व को लेकर खींचतान, और महाराष्ट्र की तेजी से बदलती राजनीतिक परिस्थितियों का रिजल्ट था। ये केवल एक दल का बंटवारा नहीं, बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़े बदलाव का संकेत भी है।
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